लखनऊ: शनिवार की रात यदि कलिमो नाम की गर्भवती महिला को डॉ राम मनोहर लोहोय अस्पताल के चिकित्सकों ने वापस न किया होता तो उस महिला की जान बचाई जा सकती थी।
डॉ राम मनोहर लोहिया संयुक्त चिकित्सालय में रविवार सुबह अस्पताल पहुंची एक गर्भवती महिला कलिमो की मौत को लेकर जोरदार हंगामा हुआ। अस्पताल वालो पर आरोप है कि शनिवार रात्रि जब गर्भवती महिला को इमरजेंसी में लाया गया था तभी अगर उसे भर्ती कर लिया होता तो महिला की मौत नहीं होती। अस्पताल प्रशासन का कहना था कि गर्भवती महिला को घरवाले जब सुबह अस्पताल लाये थे तो उसकी मौत हो चुकी थी।
लोहिया अस्पताल में रविवार सुबह गर्भवती कलीमो की मौत के बाद परिवारजनों ने अस्पताल परिसर में जमकर हंगामा किया, क्योंकि शनिवार रात 11 बजे परिवारीजन प्रसव पीड़ा उठने पर कलीमो के लेकर लोहिया अस्पताल आये थे। यहां पर इमरजेंसी में बैठी डॉक्टर ने दर्द कम करने वाला इंजेक्शन लगाकर वापस भेज दिया था। पति नसरुद्दीन का आरोप है कि रात को ही भर्ती कर लिया होता तो पत्नी की मौत न होती।
गोमती नगर लखनऊ निवासी मृतका के पति नसरुद्दीन ने बताया कि शनिवार रात 11 बजे प्रसव दर्द उठने पर गर्भवती पत्नी कलीमो को लेकर लोहिया अस्पताल आये थे, यहां डॉक्टर ने दर्द निवारक इंजेक्शन लगाकर घर वापस भेज दिया। नसरुद्दीन ने बताया कि रविवार तडक़े पत्नी की हालत बिगडऩे लगी, मगर दर्द न होने की वजह से हम लोग पीड़िता की गंभीरता को नही समझ पाये। सुबह 10 बजे गर्भवती को लेकर अस्पताल पहुंचे तो डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया।
अस्पताल निदेशक डॉ.डीएस नेगी के अनुसार रात को क्या हुआ था की वास्तविक स्थिति रात की ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर से जानकारी के बाद ही पता चलेगी, हालांकि उन्होंने यह जरूर कहा कि सुबह इमरजेंसी में कलीमो आई थी तो उसकी मौत हो चुकी थी।