नई दिल्ली : नोटबंदी से छोटे कारोबारियों और किसानों पर पड़े असर से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) लगता खुश नही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा योजना आयोग की जगह बनाये गए नीति आयोग के कामकाज पर आरएसएस का आर्थिक थिंक टैंक माने जाने वाले स्वदेशी जागरण मंच (SJM) ने दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया। इस कॉन्फ्रेंस में संघ के कई महत्वपूर्ण सदस्य शामिल हुए। इस कॉन्फ्रेंस ने मीटी आयोग के सदस्य बिबेक देबरॉय भी शामिल हुए।
इस कॉन्फ्रेंस में एसजेएम ने माना कि देश की आर्थिक प्लानिंग बनाने में नीति आयोग पूरी तरह फेल रहा है। स्वदेशी जागरण मंच के सह संयोजक अश्विनी महाजन ने कहा कि नीति आयोग को जो अधिकार दिए गए हैं वह उस हिसाब से कार्य नहीं कर रहा है। आयोग ने अब तक विभिन्न मुद्दों पर 23 रिपोर्ट दिए हैं। इनमें से कुछ रिपोर्ट को देखकर कर लगता है कि आयोग ने जमीनी स्तर से राय लेकर रिपोर्ट नहीं बनाई है।
स्वदेशी जागरण मंच का कहना है कि वह जल्द की नीति आयोग की नाकामियों को पीएम मोदी के सामने रखेगा। स्वदेशी जागरण मंच ने यह भी माना कि सरकार गरीब कल्याण और स्वदेशी सोच के विपरीत विदेशी कंपनियों को ध्यान में रखकर योजनाएं बना रहा है। मंथन के दौरान यह बात भी सामने आयी कि आयोग की कई रिपोर्टों को तैयार करने में कुछ विदेशी कंपनियों का भी नाम आ रहा है।
एसजेएम ने कहा कि यदि नीति आयोग को विदेशी कंपनियों के जरिए ही रिपोर्ट तैयार करवानी है तो नीति आयोग की जरूरत क्या है। मंथन के दौरान एसजेएम के विचारक सुभाष शर्मा ने कहा कि गरीबी उन्मूलन पर विपक्ष में रहते हुए पीएम मोदी ने तेंदुलकर समिति की सिफारिशों को लेकर योजना आयोग और मनमोहन सरकार पर निशाना साधा था लेकिन अब नीति आयोग उसी रिपोर्ट के बचाव में है। उन्होंने कहा नीति आयोग पुरानी बोतल में नई शराब की तरह है।