नई दिल्ली : नोटबंदी के बाद जहाँ कई कारोबारियों को नुकसान उठाना पड़ा लेकिन भारतीय तैयार बिक्रेताओं ने इस दौर में चैन की सांस की। एक रिपोर्ट की माने तो नोटबंदी के दौरान चाइनीज टायरों की बिक्री 40 फीसदी से घटकर 17 फीसदी पर आ गया। तैयार निर्माताओं की माने तो इसके पीछे नगदी की कमी रही क्योंकि चीनी टायर बेचने वाले लोग शुल्क और कर से बचने के लिए ज्यादातर व्यापार बिना बिलों के नकद किया जाता है।
रिपोर्ट के अनुसार अप्रैल-अक्टूबर 2016 के बीच हर महीने औसतन लगभग 1,20,000 चीनी टायर बाजार में आया करते थे, जबकि उससे पिछले वर्ष यह संख्या करीब 1,00,000 टायर थी। नोटबंदी के बाद अब यह 2015-16 के स्तर पर है। कहा जा रहा है कि बाजार में चीनी टायर के आयात में कमी का यह रुख 2017 के पहले छह महीनों में जारी रहेगा।
प्रमुख टायर विनिर्माता के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि लघु अवधि के लिए ही सही कम से कम यह भारतीय टायर विनिर्माताओं के लिए अच्छी खबर तो हो ही सकती है। एक बार चीजें आसान होने लगें तो दबाव और ज्यादा बढ़ जाएगा। फिलहाल टायर बाजार में नहीं आ रहे हैं, कारखानों की माल सूची आयातकर्ताओं के जरिये तैयार हो रही है।
एक बार चीजें आसान हो जाएं तो वे आक्रामक रूप से बाजार में प्रवेश करेंगे और इससे व्यापार बिगड़ जाएगा। इसका एकमात्र उपाय चीनी टायरों पर एंटी डंपिंग शुल्क लगाया जाना है जिसकी मांग उद्योग पिछले तीन सालों से कर रहा है। बुद्धिराजा के अनुसार अब भी सरकार को उद्योग की गुहार पर ध्यान देना बाकी है लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।