shabd-logo

अंतिम सत्य(भाग-1)

2 जुलाई 2022

343 बार देखा गया 343

👉यह कहानी काल्पनिक है,, , इससे किसी का कोई लेना देना नहीं है।👈


अंकल..........पापा की सर्विस सीट में किस किस का नाम होगा, यह सुन कर मैं हैरान सा रह गया..... क्योंकि ये सवाल बड़ा अजीब सा था, उस जगह..... और मैं सोच में पड़ गया की पिता की अंत्येष्टि में आया एक बेटा ये सवाल भी पूछ सकता है,
              और वो भी जब, तब की उसके पिता की चिता को अग्नि देकर बैठा ही था.....
फिर से वही सवाल जब दोबारा पूछा तो मुझे अचानक बहुत क्रोध आया, लेकिन अपने क्रोध को काबू कर मैंने यह जानना चाहा की वह ऐसा क्यों कर रहा है?????
मैंने कहा बेटा ये समय है कोई " नहीं अंकल माफ़ करिएगा"

 
               तभी किसी के बहुत तेज रोने की आवाज़ सुनकर छोटा भी उस और लपका और ऊँचे स्वर में रोकर साथ देने लगा,  मैं कुछ समझ पता इसके पहले दोनों मेरे काफी करीब आकर बैठ गए,
              दोनों भाइयों को देख ऐसा लगा जैसे वे अपनी पिता की अंत्येष्टि में दुखी कम, किसी और बात को लेकर चिंतित ज्यादा लग रहे थे.....क्योंकि जहां मेरा ध्यान चिता से उठती हुई एक एक चिंगारी और उसमें समाए हुए दर्द पर था, वहीं उन दोनों का ध्यान कहीं और भटका हुआ सा लग रहा था।

               वे कभी उठकर बाहर एकत्रित भीड़ में गुम हो जाते तो, कभी किसी और बात को लेकर अपने मित्रों से चर्चा में लग जाते हैं, और मित्र भी उनके ऐसे ही... आते समय तो ऐसा लगता कि जैसे खुद उन्होंने अपने ही पिता को खो दिया हो और थोड़े देर में सामान्य होकर हंसी ठिठोली में लग जाते।
                मुझे क्यों तो उन दोस्तों और दोनों भाइयों पर दया कम गुस्सा ज्यादा आ रहा था, लेकिन वह समय उन्हें समझाने का नहीं था, क्योंकि मैं खुद ऐसे सदमे के साथ ऐसी  मनः स्थिति में था कि मुझे ऐसा लग रहा था मानो वह चिता बाहर नहीं मेरे दिल में जल रही हो।

            मुझे अब भी यह उम्मीद थी कि काश मेरा मित्र संसार के नियमों को बदलकर अभी उठ मेरे पास आ मुझे गले लगा, मुझे मनाने लगेगा....... लेकिन रह रह कर उठती ज्वाला उसके पार्थिव शरीर को पंचतत्व में विलीन कर रही थी और मेरी उम्मीद खत्म होती जा रही थी।
         लेकिन मेरा मन इस प्रकृति को भला कहां मानने वाला था, वह तो जैसे जैसे  चिता आग पकड़ती है, वैसे वैसे मेरे मित्र की छवि को मेरे मन मन मंदिर में और भी  गहराई से अंकित करते जाती, जैसे वह प्रकृति से लड़कर मेरे मित्रता के बीज को और भी गहराई में स्थापित कर देना चाहती है।

             मैं अब भी मानने को तैयार नहीं हूं,  मेरे ही सामने मेरे ही बाहों में मेरे मित्र ने अपना दम तोड़ा था। लेकिन तभी मैंने देखा कि मेरे बाजू में बैठा शख्स मेरे कंधे पर हाथ रख कर कह रहा था, थोड़ा ख्याल रखो भाई साहब.......
भला होनी को कौन टाल सकता है, कहते हुए जैसे वह सात्वना कम दे रहा हो, लेकिन जाने की अनुमति पहले मांग रहा हो.........

मैं काफी देर से देख रहा था, उसने हर जतन कर अब तक अपने आप को रोक रखा था, ठीक ऐसे ही सभी धीरे-धीरे निकलते जा रहे थे, जैसे बस यहीं तक साथ हमारा कहकर विदाई लेते जा रहे हो,
           
              लेकिन जाते वक़्त एक बार मुड़कर देखना कोई नहीं भुला, कुछ की आंखे नम थी तो कुछ की आँखों में उनकी ऎश्वर्य गाथा दिखाई देती थी,
                मेरा मित्र था ही ऐसा...... कभी किसी को निराश नहीं किया,  जितना जैसा बन पड़ा सबकी मदद करता रहता था,

लेकिन एक दिन अचानक........... खैर मौत,,,  चूँकि काम के दौरान हुई थी, इसलिए कुछ अधिकारीगण भी बाद की समस्या से बचने हेतु वहाँ उपस्थित हो ही गए थे और थोड़ी ही देर में अपनी झूठी वयवस्थता बताकर चले भी गए.....
                 मैं कुछ पुराने ख्याल में खो सा गया था, अर्थी से उठने वाला धुआँ जैसे मेरे मित्र और मेरी पुरानी यादो को ताजा कर रही हो,
             तभी अचानक छोटे की आवाज सुनाई दी....
अंकल........ पंचाग्नि का समय हो गया, मतलब साफ था की बस अंतिम बिदाई, जिसे अक्सर हम दोनो कभी कभी मजाक में भी कह दिया करते थे,
             बड़े अनसुलझे मन से मैं वहाँ से निकला, लेकिन तभी किसी ने मुझसे पूछा......अच्छा तो आप ही हो हमारे जवाई सा के परम मित्र, आपसे एक काम था, यदि आप बुरा न माने तो ये बताएँगे की सर्विस बुक में किस किस का नाम लिखा है, और किसको कितना कितना मुआवजा मिलेगा......
इतने सारे सवाल सुनकर मेरा मन भर आया, और मैं वह से निकल आया......

क्रमशः..........................


"आज़ाद आईना"अंजनी कुमार आज़ाद

"आज़ाद आईना"अंजनी कुमार आज़ाद

सुंदर शुरुआत..👌👌👌👌

27 सितम्बर 2022

manishjewellers

manishjewellers

बहुत सुन्दर

7 अगस्त 2022

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

बहुत खूबसूरत कहानी है मोना😊🙏

3 अगस्त 2022

Parth

Parth

Bahut achi story hai.

11 जुलाई 2022

4 जुलाई 2022

Archana Harode

Archana Harode

👌👌👌👍👍👍👍

3 जुलाई 2022

25
रचनाएँ
अंतिम सत्य
4.8
जिंदगी बहुत मुश्किल है और ये बात हमें कदम-कदम पर पता चलती रहती है। कभी परिवार की जरूरतों को लेकर तो कभी अपने आकांक्षाओं को पूरा करने की चाहत में हमें कई मुश्किलों से गुज़रना पड़ता है। यह मेरी कहानी अंतिम सत्य में एक ऐसे कड़वे सच को दर्शाया गया है, समाज में जो इंसान पूरी जिंदगी अपने परिवार के लिए कमाता है, उसकी मृत्यु के पश्चात पूरा परिवार उसकी मौत का दुख नहीं बल्कि इस चीज का दुख होता है कि सर्विस रिकॉर्ड में नाम किसका है और उसके दौलत का हकदार कौन होगा??? यह हमारे समाज का कड़वा सच है कि इंसान जब तक जिंदा है तब तक ही सब कुछ है। उसके मरने के बाद में उसका अस्तित्व ही खत्म हो जाता है।
1

अंतिम सत्य(भाग-1)

2 जुलाई 2022
109
51
6

👉यह कहानी काल्पनिक है,, , इससे किसी का कोई लेना देना नहीं है।👈 अंकल..........पापा की सर्विस सीट में किस किस का नाम होगा, यह सुन कर मैं हैरान सा रह गया..... क्योंकि ये सवाल बड़ा अजीब सा था, उस जगह....

2

अंतिम सत्य (भाग-2)

3 जुलाई 2022
38
12
2

जलती चिता भी क्या खूब बयां कर गई गवाह मुझे बना रिश्तो की मौत का मेरी उम्मीदें भी तबाह कर गई सोचते रहा पूरी रात जीवन का यही है काला सच किसे समझे अपना किसे समझे पराया यही सोचकर हमने गुजारी उनकी यादो

3

अंतिम सत्य(भाग- 3)

5 जुलाई 2022
12
9
0

अस्थि विसर्जन को चुनने चले थे साथी चार शमशान तक भला जाए कैसे किसको दे दायित्व सभी करें विचार बटवारा हमारा हक था कि काम करेगा अब जवाई उसे भी तो मिला मकान क्या हमने ही ली सारी कमाई वाह रे दुनिया

4

अंतिम सत्य(भाग- 4)

7 जुलाई 2022
11
8
1

गुजरे हुए उसके हुआ दिन पूरा एक दिन भर याद सताती रही भूलने उसे जतन करूं अनेक कल तक जो बात ना करे देखो कौओ को खिलाये खीर देखने जिस जतन की भीड़ लगी पर कोई एक तो बहाये नीर..... &nb

5

अंतिम सत्य(भाग-5)

7 जुलाई 2022
10
8
0

भला कौओ को क्यों खिलाए मन में उपजा लालच भूल मातम को शोर मचाए सब कोई ढूंढे कागज मैं बैठा देख तमाशा भला क्यों यह नीर बहाऊ जीने का हर पल सोच रखा था मैं किसको बतलाऊ सब कुछ तो था तुम्

6

अंतिम सत्य(भाग-6)

8 जुलाई 2022
9
7
0

जन्म से रिश्ते मिलेतो कुछ खुद के ही बनाये फिर भी क्यों मन में रही आज बसी कोई तो मुझे अपनाए जीवन पंथ की ये बेला है इस सृष्टि का खेल ही ऐसा माया ने ही रिश्ते बुने जिन रिश्तो का मोल ही प

7

अंतिम सत्य(भाग-7)

8 जुलाई 2022
12
8
0

चिता से उड़ती चिंगारियों को मिला न आसरा हवाओं का जिंदगी गुजारी जिनके खातिर क्या किस्सा सुनाएं उनकी वफाओं का दर्द बयां करें यदि मौत का तो जमीं क्या फट जाएगा आसमां जिन की खातिर जीवन त्याग आखिर इत

8

अंतिम सत्य(भाग-8)

11 जुलाई 2022
12
8
0

सेहरे शादी सपने और मंजर भी देखा मौत का सबसे अलग न्यारा रिशता मिला तो वह दोस्त था ना कुछ देना मिलना और न कुछ चाह थी चोट जो लगती जरा सी भी निकलती पहले उसकी आह थी बेशक जीता होगा मुझे इस दुनिया क

9

अंतिम सत्य (भाग-9)

11 जुलाई 2022
9
7
0

मैं सुनता हूं ऐसा कि तेरी मुक्ति के लिए ईश्वर स्वयं तुझे सुनाएं गरुड़ पुराण...... देख जाग जमीन पर हो रहे हैं रिश्ते तार-तार निकाल रहे हैं मेरी जान......... तू आजाद होकर बेफिक्र उड़ता होगा आसमानों

10

अंतिम सत्य (भाग-10)

12 जुलाई 2022
9
6
0

स्वार्थ सिद्धि में बने यह रिश्ते क्या पत्नी बेटा और बाप लालच कुंडली मारकर बैठा जैसे पिंडरी में साँप जन्म लेते ही दे विदाई मृत्यु पर महंगाई का रोना भला मरे से क्या मिले जो उसके

11

अंतिम सत्य (भाग-11)

12 जुलाई 2022
7
6
0

तेरी हसरतें और जोश ए जुनून कहानी किस्से ना बन जाए कहीं तुझे आदर्श बना किताबों में न पढ़ाया जाए डर है मुझे अपनी गलतियां छुपाने को वो भी यही तरीका अपनाएंगे और तुझे वफादार की श्रेणी में ला उन कागजों क

12

अंतिम सत्य(भाग-12)

12 जुलाई 2022
5
5
0

शहीद बना उसे लोग लगा रहे थे नारे कोई गिनाये शाहदते उसकी तो किसी के नजर आये गर्दीश में सितारे शहीद कैसा ,कौन क्या अर्थ है, मैं ए सोचूँ विवश हूँ जानकर भी क्यो भला मैं खुद को रोकूँ माफ करना ए द

13

अंतिम सत्य(भाग-13)

13 जुलाई 2022
7
5
0

जीते जी जिन्हें अबतक सुहाया , उसकी मृत्यु पर सुनाये , देखो शोक संदेश निस्वार्थ सेवा और क्या क्या कहे , कैसे झूठे दे उपदेश स्वार्य में घिरा ये संसार यहाँ किसी का न कोई ठौर सबकी अपनी - अपनी

14

अंतिम सत्य(भाग-14)

13 जुलाई 2022
6
6
0

बच्चों के सपने टूटे, पिता की छुटी आस, ममता प्रकृति को देती दुहाई, लौटा दे बेटे को काश, झुठलाती मौत का हरपल, कैसे माने किसी का कहना कौन पूछेगा माँ का हाल, कौन मनाये तेरी बहना, अक्सर पुकार कानों में

15

अंतिम सत्य(भाग-15)

13 जुलाई 2022
5
5
0

राम राम दशरत भजे रही न राम की आस पुत्र मोह में पिता तरसे कौन बुझाये प्यास मृत्यु ऐसी बाबरी जिसकी ना ढीली पाश तपोवन की अग्नि है वह पेड़ बसे न घास घायल हृदय को कौन समझाए मौन खड़ी यह भीड़ ब

16

अंतिम सत्य(भाग-16)

14 जुलाई 2022
4
4
0

पल भर में मिट जाये हस्ती फिर कैसा अभिमान जान बूझकर करता गलती और बने अनजान कर्म फल की न चिंता करता कैसे कैसे करे जतन तिल तिल कर जोड़े धन को साथ न जाये कफन शान ए शौकत रिश्ते नाते भला किसको दिखाए जि

17

अंतिम सत्य(भाग-17)

15 जुलाई 2022
5
5
0

रिश्ते नाते दोस्ती यारी जग जनता दरबार जिससे जब जब जो मिला उन सबका आभार माफ करे वो मुझे जिनका कुछ बचा हो शेष सात दिन का मेहमान हूँ और कह दो यदि कुछ बात विशेष हूँ राख का ढेर सही पर जिन्दा हैं ज

18

अंतिम सत्य (भाग-18)

18 जुलाई 2022
6
5
0

जो जी उठे तो फिर दफनाने को है सब तैयार तुझसे ज्यादा तेरी दौलत से होने लगा अब उनको प्यार सूखने लगे आसूं अब उन आंखों में दिखती है पैसों की चमक न जाने क्यों चिता की राख पर गिरते पानी से भी लोग

19

अंतिम सत्य(भाग-19)

18 जुलाई 2022
5
5
0

मुशिकले हजार थी , लेकिन तेरी हिम्मत का भी नहीं था जवाब क्या खूब कमाया तुने घर ,गाडी ,बर्तन सब कुछ थे लाजवाब न जाने मेरे दोस्त क्या-क्या रहे होंगे तेरे ख्वाब तेरी हर नसीहत भूल देख ये तेरी दौलत उ

20

अंतिम सत्य(भाग-20)

19 जुलाई 2022
4
4
0

किसने कहूँक्या कहूँ ,या लिखूँ ख्वाब मेरे न समझ कोई अफसाना सख्त हो गया हूँ मैं न कर शिकायत ,मेरा मकसद नहीं किसी को डराना मुझे चिंता है तेरे माँ बाप की जो लगता हैं सबके लिये जग जाहिर बुरा लगे

21

अंतिम सत्य(भाग-21)

20 जुलाई 2022
4
4
0

जलती चिता से उठता धुँआ करता यही सवाल, क्यों बेरुखी सा आलम सबका, किसका नही रखा मैनें ख्याल, जीते जी जो साथ रहने की कसमें खाते, मौत पर भला क्यो एक पल भी साथ रहने से घबराते, क्यों जल्दी करे प

22

अंतिम सत्य(भाग-22)

21 जुलाई 2022
4
4
0

किसे कहे अपना ,क्या उन्हें जिनसे है खून के रिश्ते या अपना ले उन्हें जो बनकर आये जीवन में फरिशते दौलत देख सब निभाए और कंगाली में हाथ छुड़ाए जरा सोच से मजबुर ए दिल किसे छोड़े किसे अपनाये क

23

अंतिम सत्य(भाग- 23)

23 जुलाई 2022
4
4
0

शिद्दत ए महफिल में ना मुस्कुरा सके जाने क्यों लगने लगा अब मुझे डर चेहरे पर मायूसी आंखों में आंसू लिए फिरते हैं शायद यह तेरी ना मौजूदगी का ही है असर न संगीने महफिल और मजाक होती अब जब जब हो जाती थी

24

अंतिम सत्य(भाग-24)

25 जुलाई 2022
4
4
0

चिराग ए इल्म की शिद्दत में यह दीप क्यों लगा बहकने क्या साथ चल ना सका या अब पसंद नहीं तुझे तेरे अपने भला क्यों है तु रुसवा सबसे नही देता किसी का जवाब किस दुनिया का मालिक बन बैठा तुझ पर छाय

25

अंतिम सत्य (भाग अंतिम -25)

28 जुलाई 2022
7
4
1

काम क्रोध और लोभ मैं तज कर जा सकता हूं लेकिन चाहूं भी तो मैं मेरे दोस्त तुझे कैसे भुला सकता हूं तेरा साथ भी तो एक बंधन है बता भला मैं क्या तज तुझे अकेला मुक्ति पा सकता हूं तेरे भरोसे छोड़ गया

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए