नई दिल्ली : गरीबी से जूझती ओडिशा की जनता के पास आज इतने भी पैसे नहीं हैं कि वह दुनिया छोड़कर चल बसने वाले अपनों का शव घर लाने के लिए कोई वाहन तय कर सकें. इसी का नतीजा है कि ओडिशा में पत्नी का शव कंधे पर डाले दाना माझी की तस्वीर अभी धुंधली भी नहीं हुई थी कि राज्य के बालासोर से एक और दर्दनाक मंज़र सामने आया है. यह भयावह तस्वीर बालासोर के सोरो इलाके का है जहां के एक स्वास्थ्य केंद्र में स्वीपर एक लाश के ऊपर खड़ा होकर अपने पैरों से उसकी हड्डियां तोड़ता है ताकि लाश को छोटा करके उसकी गठरी बनाई जा सके. इसके बाद दो कर्मचारी इस सिमटी लाश को कपड़े और प्लास्टिक से लपेटकर बांस की लकड़ी पर लटकाते हैं और अपने कंधे पर उठा लेते हैं.
ट्रेन की चपेट में आने से हुई थी महिला की मौत
दरअसल यह लाश 76 साल की विधवा सालामनी बारिक की है, जिसकी बुधवार को बालासोर से 30 किमो दूर सोरो में ट्रेन की चपेट में आकर मौत हो गई. बारिक की लाश को बालासोर तक लाने के लिए कोई एंबुलेंस उपलब्ध नहीं थी. बताया जाता है कि सोरो में कोई अस्पताल नहीं है. सिर्फ एक सामाजिक स्वास्थ्य केंद्र है और लाश को पोस्टमॉर्टम के लिए ट्रेन से बालासोर तक लाना था. शव को स्टेशन तक ले जाने के लिए एक ऑटो करने के बारे में सोचा गया था, लेकिन वह बहुत मंहगा साबित हो रहा था. जिसके चलते कर्मचारियों से कहा गया कि वह पैदल ही लाश को स्टेशन तक लेकर जाएं.
बेटे ने लगायी इंसाफ की गुहार
इससे पहले शव को पुलिस द्वारा स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया था. जहां वह घंटों स्ट्रेचर पर शव पड़ा रहने के कारण बेहद सख्त हो गयी थी. ऐसे में शव को आसानी से बांधा जा सके. इसलिए एक कर्मचारी ने अपने पैर से लाश के कुल्हे की हड्डी को तोड़ा और फिर गठरी बनाकर उसे 2 किमो दूर रेलवे स्टेशन तक ले जाया गया. मृतक के बेटे रवींद्र बारिक ने बताया 'वह मेरी मां को बुरे हाल में लेकर गए. मैं मजबूर था. कुछ नहीं कर सका. मैं न्याय की गुहार लगाता हूं.'
मानवाधिकार आयोग ने पुलिस से माँगा जवाब
इस मामले के सामने आने के बाद ओडिशा मानवाधिकार आयोग ने पुलिस और बालासोर जिला प्राधिकरण से जवाब मांगा है. बता दें कि एक दिन पहले ओडिशा के कालाहांडी में दाना मांझी का मामला सामने आया है जो लगातार छह घंटे तक अपनी पत्नी का शव कंधे पर लादे 10 किलोमीटर तक पैदल चलने के लिए मजबूर हुआ. यह मामले तब सामने आए हैं जब सरकार की ऐसी दो योजनाएं लागू हैं जिसके तहत शव को ले जाने में मदद मुहैया करवाई जाती है.
25 लाख लोगों के एवज में मात्र एक शव वाहन
फिलहाल इस बारे में अधिकारियों का कहना है कि अभी तक यह साफ नहीं है कि मांझी जिस सरकारी अस्पताल से निकले थे वह उस योजना के तहत आता है कि नहीं. जिसमें गरीबों को शव वाहन मुहैया करवाया जाता है. ओडिशा के 37 सरकारी अस्पतालों में 40 शव वाहन के होने की बात कही गई है.दिलचस्प है कि कालाहांडी में 25 लाख लोगों पर एक ही शव वाहन आवंटित है.