बालाघाट : वो खुश थी इस बात से कि अब ट्रेनिंग खत्म होते ही वह अपने घर वापस जाएगी. लेकिन उसे इस बात का जरा भी इल्म न था कि उसकी ट्रेनिंग आखिरी उड़ान जिंदगी की आखिरी उड़ान बनकर रह जाएगी. कुछ ऐसा ही वाकया हरियाणा के करनाल की रहने वाली हिमानी के साथ हुआ.
26 अप्रैल को ट्रेनी पायलट हिमानी की ट्रेनिंग की आखिरी उड़ान उसकी जिंदगी की आखिरी उड़ान बनकर रह गई. बुधवार को ट्रेनिंग खत्म होने से पहले ही उसकी जिंदगी खत्म हो गई. बिरसी से आए तकनीकी अधिकारी आरके सिंह की मानें तो वह दो रोज से अपने घर वापस जाने की तैयारी कर रही थी.
वैनगंगा नदी के पास की घटना
सुबह ही उसने घर में बात की थी. अपनी ट्रेनिंग के आखिरी दिन की आखिरी उड़ान के लिए वह अपने ट्रेनर रंजन गुप्ता के साथ निकली थी. लेकिन 9.30 बजे ही उसका एयर क्राफ्ट दुर्घटना ग्रस्त हो गया. हिमानी गोंदिया में रहकर ट्रेनिंग कर रही थी. 26 अप्रैल को उसकी ट्रेनिंग का आखिरी दिन था.
पायलट बनने से महज ‘एक घंटे’ दूर थी हिमानी
हिमानी दो साल से ट्रेनिंग ले रही थी और सकी ट्रेनिंग यह आखिरी उड़ान थी. तीन घंटे बाद वह पायलट बनने वाली थी लेकिन यह उसकी जिंदगी की यह आखिरी उड़ान थी. हिमानी को कमर्शियल पायलट बनने के लिए सिर्फ एक घंटे और प्लेन उड़ाना था. कमर्शियल पायलट के लाइसेंस के लिए कम से कम 200 घंटे विमान उड़ाने का अनुभव होना चाहिए और हिमानी तब तक 199 घंटे प्लेन उड़ाने का अनुभव ले चुकी थी. हिमानी कल्याण गोंदिया के बिरसी हवाई पट्टी से नेशनल फ्लाइंग ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट से विमान उड़ाने की ट्रेनिंग ले रही थी.