नई दिल्ली : भारत में 45 दिन के भीतर चौथी बार पेट्रोल और डीजल की कीमतों में इजाफा हुआ है जिसका असर महंगाई पर पड़ सकता है। बता दें कि भारत अपनी जरूरत का 80 फीसद कच्चा तेल आयात करता है। शनिवार को पेट्रोल की कीमत 1.34 और डीजल की कीमत 2.37 रूपये बढ़ गए। तेल की कीमतों में हुई बढ़ोतरी का प्रमुख कारण अंतराष्ट्रीय बाजार में हुई तेल की कीमतों में बढ़ोतरी है।
पिछले कुछ समय से कच्चे तेल की कीमतों में आयी गिरावट ने तेल पर आधारित सऊदी अरब जैसे देशों की अर्थव्यवस्था को हिलाकर रख दिया। इसी महीने तेल उत्पादक देशों द्वारा तेल का उत्पादन को सीमित करने को रूस के समर्थन के बाद कच्चे तेल की कीमतें अपने इस साल के उच्चतम स्तर 53.45 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई।
सऊदी अरब का कहना है कि इस साल के अंत तक तेल कच्चे तेल की कीमत 60 डॉलर प्रति बैरल हो सकती है। वह अपने कच्चे तेल पर आधारित अर्थव्यवस्था में रिफार्म लाना चाहता है। सऊदी अरब एक ऐसा देश है जहाँ की पूरी अर्थव्यवस्था कच्चे तेल पर निर्भर है, देश की 75 प्रतिशत आय कच्चे तेल पर निर्भर है।
उसका कहना है कि वह साल 2030 तक इस सुधार को पूरी तरह लागू कर देगा और सऊदी अरब अब अपनी अर्थव्यवस्था की निर्भरता भी तेल से कम करने की सोच रहा है। आठ सालों में पहली बार पिछले ही महीने सऊदी अरब ने ओपीईसी (OPEC) द्वार किए जाने वाले तेल के उत्पादन में कमी फैसला लिया था। सऊदी अरब दुनिया का सबसे बड़ा तेल निर्यताक है और सऊदी अरब का क्रूड रिजर्व 266.5 बिलियन बेरल है।