दिल्ली : भारत के खिलाफ हर स्तर पर जाने की एक और मिसाल आज पाकिस्तान ने नीदरलैंड के अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट आफ जस्टिस में दी जहाँ कुलभूषण जाधव को फांसी दिए जाने के मामले पर बहस चल रही थी. पाकिस्तान ने विदेशी अदालत को प्रभावित करने के लिए अपने डेलीगेशन के साथ संयुक्त अरब अमीरात में अपने राजदूत मोअज़्ज़म अहमद खान को नीदरलैंड भेजा.
ऐसा कहा जाता है कि मोअज़्ज़म अहमद खान के अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट आफ जस्टिस के एक जज से नज़दीकी रिश्ते हैं. सूत्रों के मुताबिक खान इन रिश्तों का लाभ उठाकर कोर्ट को प्रभावित करने की रणनीति के तहत भेजे गए हैं. ऐसा पहली बार देखने को मिल रहा है कि संयुक्त राष्ट्र संघ के तहत आने वाले इस कोर्ट में कोई देश किसी विदेशी जज की सेटिंग के लिए अपना राजदूत भेजे. संयुक्त राष्ट्र संघ की परम्पराओं के अनुसार पाकिस्तान का ये कदम बेहद निंदनीय है.
दरअसल संयुक्त अरब अमीरात के इस पाकिस्तानी डिप्लोमैट की वहां ज़रुरत नहीं थी लेकिन भारतीय विदेश मंत्रालय के एक सूत्र के अनुसार खान को जानबूझकर नीदरलैंड भेजा गया था. इस बात की चर्चा नीदरलैंड की राजधानी हेग में चल रही इस अदालत में मौजूद पत्रकारों में भी थी.
ऐसा बताया जा रहा है कि पाकिस्तानी सेना का वहां की हुकूमत पर दबाव है की हर कीमत पर कुलभूषण के मामले पर भारत का हेग में विरोध करना है. इसलिए पाकिस्तान विदेश मंत्रालय ने खान को नीदरलैंड भेजा जिसके चलते कोर्ट को प्रभावित किया जा सके. खान इससे पहले नीदरलैंड के राजदूत रह चुके है वहां पर रहते हुए उन्होंने हेग की अदालत में अच्छे संबंध बनाये थे.
2016 में हुई जाधव की गिरफ्तारी
पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने जाधव को जासूसी का दोषी बताते हुए फांसी की सजा सुनाई है. पाकिस्तान ने जासूसी के आरोप में उन्हें एक साल से भी अधिक समय से हिरासत में रखा है. कुलभूषण जाधव को 10 अप्रैल को फांसी की सजा सुनाई गई थी. पाकिस्तान ने जाधव को 3 मार्च, 2016 को बलूचिस्तान से गिरफ्तार किया गया था. उधर भारत का कहना है कि कुलभूषण को ईरान से अगवा कर आईएसआई पाकिस्तान लेकर आई. बाद मे जाधव की बलूचिस्तान से गुरफ्तारी दिखाई और उस पर झूठा केस दर्ज किया.