नई दिल्ली : यह संयोग ही है कि उडी में हुए आतंकी हमले ले बाद कई लोग प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से युद्ध की मांग कर रहे है और टीवी चैनल युद्ध का माहौल बनाने में लगे हैं वहीँ प्रधानमंत्री अपनी सबसे चर्चित योजना 'मेक इन इंडिया' के दो साल भी इसी मौके पर पूरे कर रहे हैं। निवेशक भारत में आ रहे हैं लेकिन वह आने से पहले माहौल को परख रहे हैं। ऐसे माहौल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए सबसे बड़ी मुश्किल यही है कि वह देश के माहौल को कैसे खुशनुमा बनाये रखें।
क्योंकि जिस वक़्त 300 से ज्यादा निवेशक दिल्ली में सरकार से मिलने आये थे उसी वक़्त देश के पर्यटन मंत्री महेश शर्मा विदेशियों को यह कहकर डरा रहे थे कि उन्हें भारत में आने से पहले ऐसा पहनावा पहनना होगा। कहा जाता है कि निवेश का सबसे बड़ा दुश्मन असुरक्षा है। हालही में बांग्लादेश के ढाका में हुए आतंकी हमले के बाद जिस तरह बांग्लादेश का टेक्सटाइल बाजार चरमरा गया था उसी तरह भारत और पाकिस्तान के युद्ध की आशंका को देखते हुए भारत में आने वाले निवेशक आशंकित है।
मई 2014 के बाद अब तक हमारे रक्षा क्षेत्र में मात्र 1.12 करोड़ रुपये
हालही में भारत ने फ्रांस से 36 राफेल विमानों का सौदा किया लेकिन उसमे 'मेक इन इंडिया' गायब दिखा। भारत ने रक्षा क्षेत्र में एफडीआई को मंजूरी दी लेकिन मई 2014 के बाद अब तक हमारे रक्षा क्षेत्र में मात्र 1.12 करोड़ रुपये का एफडीआइ आया है। यह जानकारी खुद रक्षा मंत्री ने संसद में दी है, जिसकी एक घंटे की कार्यवाही पर 1.5 करोड़ रुपये खर्च हो जाते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी का सपना मेक इन इंडिया का है लेकिन फ़िलहाल भारत को युद्ध के लिए तमाम हथियार विदेशों से ही खरीदने पड़ रहे हैं। सैनिकों के लिए हेलमेट तक इंपोर्ट करने पड़ते हैं। अमेरिका, रूस और इस्राइल जैसे देश भारत को अपना बड़ा बाजार मानते हैं, यही कारण है कि भारत का रक्षा बजट लगातार बढ़ता जा रहा है।
आंकड़ों पर गौर करें तो दिसंबर 2001 में संसद पर आतंकी हमले के बाद वित्त वर्ष 2002-03 में हमारा रक्षा बजट 65,000 करोड़ रुपये का था। चालू वित्त वर्ष 2016-17 तक 10.35 प्रतिशत की सालाना चक्रवृद्धि दर से बढ़ता हुआ यह 2.58 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है। वहीं, 2005-06 में कृषि को बजट में 6,361 करोड़ रुपये मिले थे जो 2016-17 में ब्याज सब्सिडी घटाने के बाद 20,984 करोड़ रुपये बनते हैं।