नई दिल्लीः
काला धन सफेद (मनी लॉन्ड्रिंग) करने के धंधे का सरगना मोईन कुरैशी को मदद पहुंचाने के मामले में सीबीआई अपने एक और पूर्व निदेशक रंजीत सिन्हा के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने जा रही है. अरबों रुपए का काला धन सफेद करने के मामले में फंसे मीट व्यापार ी मोईन कुरैशी और सीबीआई के पूर्व निदेशक रंजीत सिन्हा के गहरे सम्बन्ध रहे हैं. इसी मामले में सीबीआई के एक और पूर्व निदेशक एपी सिंह के खिलाफ चार्जशीट दाखिल हो चुकी है. जांच के दायरे में सीबीआई के तत्कालीन संयुक्त निदेशक व यूपी कैडर के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी जावीद अहमद, समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान, प्रसिद्ध फिल्मकार मुजफ्फर अली और इन्फोर्समेंट डायरेक्टरेट (ईडी) के ही एक आला अधिकारी राजेश्वर सिंह भी हैं, जिनके मोईन कुरैशी से जुड़े होने की पृष्ठभूमि सामने आई है.
ईडी अफसर की गिरफ्तारी महज शुरुआत
मोईन से जुड़े कांग्रेसी नेताओं की तो लंबी फेहरिस्त है. इन सबकी जांच हो रही है. पिछले दिनों ईडी के लखनऊ दफ्तर में हुई छापामारी और सहायक निदेशक एनबी सिंह की गिरफ्तारी तो बस एक शुरुआत मानी जा रही है. इस छापेमारी के जरिए सीबीआई को प्रवर्तन निदेशालय के दफ्तर में घुसने और जरूरी दस्तावेज खंगालने का मौका मिल गया. सीबीआई के सूत्र बताते हैं कि मीट व्यापारी मोईन कुरैशी की गतिविधियों के बारे में रामपुर के एसएसपी से मिली कई आधिकारिक सूचनाओं को इन्फोर्समेंट डायरेक्टरेट ने दबाए रखा और उसकी जांच नहीं होने दी. ईडी के पास मनी लॉन्ड्रिंग से सम्बन्धित कई शिकायतें लंबित हैं, जिनकी जांच नहीं कराई गई. मनी लॉन्ड्रिंग मामले में एक प्रमुख फोन कंपनी की संलिप्तता भी सामने आई है, जिसे ईडी के आला अधिकारी ने काफी अर्से तक दबाए रखा.
आईएएस अनुराग की हत्या में शामिल होने का संकेत
मोईन कुरैशी का मामला ऐसा है कि इसकी जितनी परतें खोलते जाएं, उतनी कहानियां सामने आती जाएंगी. सीबीआई के अधिकारी ही कहते हैं कि कुरैशी के मनी लॉन्ड्रिंग और हवाला के गोरखधंधे के तार इतने फैले हैं कि दिल्ली, मुंबई, उत्तर प्रदेश, कोलकाता, कर्नाटक, सीबीआई, ईडी से लेकर इंटरपोल तक जाकर जुड़ते हैं. कुरैशी के पाकिस्तान और अन्तरराष्ट्रीय कनेक्शन तो हैं ही. यूपी के एनआरएचएम घोटाले से लेकर कर्नाटक के आईएएस अनुराग तिवारी की पिछले दिनों लखनऊ में हुई हत्या के सूत्र सब आपस में मिल रहे हैं. इस मामले की दो अलग-अलग स्तरों पर जांच चल रही है. सीबीआई अपने स्तर पर जांच कर रही है और ईडी अपने स्तर पर.
हालांकि दोनों एजेंसियों में टकराव की स्थिति भी पैदा होती रहती है, लेकिन दोनों जांच एजेंसियों का आपसी टकराव फिलहाल हमारी खबर का हिस्सा नहीं है. इस पर हम कभी बाद में बात करेंगे. मीट कारोबारी और मुद्रा-धुलाई (मनी लॉन्ड्रिंग) धंधे के सरगना मोईन कुरैशी से गहरे ताल्लुकात पाए जाने के कारण सीबीआई के पूर्व निदेशक अमर प्रताप (एपी) सिंह के खिलाफ एफआईआर और चार्जशीट दाखिल हो चुकी है. अब दूसरे पूर्व निदेशक रंजीत सिन्हा के खिलाफ चार्जशीट दाखिल किए जाने की तैयारी है. उनके खिलाफ एफआईआर पहले ही दर्ज की जा चुकी है. उस दरम्यान सीबीआई के संयुक्त निदेशक (पॉलिसी) रहे जावीद अहमद भी जांच के दायरे में हैं, क्योंकि उनके समय में ही मोईन कुरैशी के धंधे की जांच का मसला सीबीआई के सामने आया था और पहले झटके में टाल दिया गया था. आप याद करते चलें कि सीबीआई में उनके एक्सटेंशन की केंद्र सरकार से मंजूरी मिल चुकी थी और केंद्रीय सतर्कता आयोग (सेंट्रल विजिलेंस कमीशन) जावीद अहमद के नाम को सीबीआई के अतिरिक्त निदेशक के पद के लिए हरी झंडी दिखाने ही जा रहा था कि अचानक गृह मंत्रालय ने इस पर ‘ऑब्जेक्शन’ लगा दिया और उनका नाम वापस लेकर उन्हें यूपी कैडर में वापस भेज दिया. केंद्र ने जावीद का नाम वापस लिए जाने की वजहों का खुलासा नहीं किया था.
सीबीआई ने पिछले दिनों इन्फोर्समेंट डायरेक्टरेट के लखनऊ ऑफिस पर छापा मार कर सहायक निदेशक एनबी सिंह को गिरफ्तार किया. यह छापामारी अखबारों की सुर्खियां बनीं. खबर यही बनी कि एनआरएचएम घोटाले में एक आरोपी सुरेंद्र चौधरी से 50 लाख रुपए घूस मांगने और उसके एडवांस के बतौर चार लाख रुपए लेने के आरोप में एनबी सिंह और उनके गुर्गे सुभाष को गिरफ्तार किया गया. लेकिन इस गिरफ्तारी की जो ‘अंतरकथा’ है, वह खबर नहीं बनी और न अखबारों ने इसकी समीक्षा ही की. एनबी सिंह उसी महीने यानि जून में ही रिटायर होने वाले थे. चार लाख रुपए घूस लेने के लिए वे खुद एक स्थानीय होटल में जा रहे थे, जहां से उन्हें पकड़ा गया.
रिटायरमेंट नजदीक होते हुए भी एनबी सिंह का केंद्रीय उत्पाद शुल्क विभाग में ट्रांसफर कर दिया गया था और मार्च में ही उनसे एनआरएचएम घोटाले की सारी फाइलें ले ली गई थीं, फिर भी वे ईडी के ऑफिस से बाकायदा ईडी का काम कैसे देख रहे थे? एनआरएचएम का आरोपी सुरेंद्र चौधरी जब सरकारी गवाह बन चुका है, तब उसे ईडी के अधिकारी को घूस देने की जरूरत क्या थी? फिर इस प्रायोजित घूस-प्रहसन का सूत्रधार कौन है? दरअसल पूरे मामले की पटकथा कुछ और थी और दिखाई कुछ और गई. इन्फोर्समेंट डायरेक्टरेट के लखनऊ दफ्तर में कुछ ही अर्सा पहले सहायक निदेशक एनबी सिंह और संयुक्त निदेशक राजेश्वर सिंह के बीच हुई कहासुनी और गाली-गलौज ईडी में सार्वजनिक चर्चा का विषय रही है. दो अधिकारियों के बीच तनातनी और कलह का कारण क्या था? जांच का विषय यह है.
मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच में ईडी की कोताही, नोटबंदी के दरम्यान मनी लॉन्ड्रिंग की शिकायतों पर ईडी की ओर से किसी कार्रवाई का न होना, मनी लॉन्ड्रिंग धंधे में मुब्तिला एक बहुराष्ट्रीय फोन कंपनी का मामला रफा-दफा कर दिया जाना, एक बड़ी मिठाई कंपनी की मुद्रा-धुलाई के धंधे में संलिप्तता हजम कर जाना, मनी लॉन्ड्रिंग धंधे के सरगना मोईन कुरैशी के खिलाफ रामपुर के एसएसपी से मिली आधिकारिक सूचनाओं को दबा दिया जाना जैसे कई मसले हैं जो एक साथ आपस में गुंथे हुए हैं. सीबीआई अधिकारी मानते हैं कि अब ईडी में घुसने का उन्हें मौका मिल गया है, अब सारे मामले की जांच होगी. सीबीआई यह भी जांच कर रही है कि ईडी की फाइलें लखनऊ के एक पॉश क्लब में क्यों ले जाई जाती थीं और कुछ खास आला नौकरशाहों के सामने फाइलें क्यों खोली जाती थीं. इस क्लब के पदाधिकारी जेल में बंद एक कुख्यात माफिया सरगना के इशारे पर चुने और हटाए जाते हैं. उस माफिया सरगना के भी मोईन कुरैशी से अच्छे सम्बन्ध बताए गए हैं.
सीबीआई डायरेक्टर की हवाला कारोबारी से हुईं 90 मुलाकातें
सीबीआई के पूर्व निदेशक रंजीत सिन्हा और मोईन कुरैशी के सम्बन्ध इतने गहरे रहे हैं कि 15 महीने में दोनों की 90 मुलाकातें आधिकारिक रिकॉर्ड में दर्ज हैं. यह तथ्य कोई छुपा हुआ मामला नहीं है. एपी सिंह से भी कुरैशी की ऐसी ही अंतरंग मुलाकातें सीबीआई और ईडी की छानबीन में रिकॉर्डेड हैं. एपी सिंह और कुरैशी की अंतरंगता इतनी थी कि सिंह के घर के बेसमेंट से कुरैशी का एक दफ्तर चलता था. एपी सिंह और कुरैशी के बीच ब्लैक-बेरी-मैसेज के आदान-प्रदान की कथा सार्वजनिक हो चुकी है. यह सीबीआई का दस्तावेजी तथ्य है.
दूसरे निदेशक रंजीत सिन्हा के प्रसंग में सीबीआई के दस्तावेज बताते हैं कि मोईन कुरैशी अपनी कार (डीएल-12-सीसी-1138) से कई बार सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा से मिलने उनके घर गया. कुरैशी की पत्नी नसरीन कुरैशी भी अपनी कार (डीएल-7-सीजी-3436) से कम से कम पांच बार सिन्हा से मिलने गई. कुरैशी दम्पति की दोनों कारें उनकी कंपनी एएमक्यू फ्रोजेन फूड प्राइवेट लिमिटेड के नाम और सी-134, ग्राउंड फ्लोर, डीफेंस कॉलोनी, नई दिल्ली के पते से रजिस्टर्ड हैं. यह दोनों कारें कई बार कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के आवास पर भी जाती रही हैं, जिनमें मोईन और उसकी पत्नी सवार रही हैं. मोईन कुरैशी की बेटी परनिया कुरैशी की शादी कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद के रिश्तेदार अर्जुन प्रसाद से हुई है.
बहरहाल, सीबीआई का निदेशक रहते हुए रंजीत सिन्हा ने सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज़ (सीबीडीटी) पर दबाव डाल कर मोईन कुरैशी के खिलाफ हो रही छानबीन का ब्यौरा जानने और छानबीन की प्रक्रिया को बाधित करने की कोशिश की थी. सीबीडीटी के पास रंजीत सिन्हा का वह पत्र भी है जिसके जरिए उन्होंने छानबीन का ब्यौरा उपलब्ध कराने का औपचारिक दबाव डाला था. बाद में वित्त मंत्री बने अरुण जेटली ने सीबीडीटी को निर्देश देकर ऐसा करने से मना किया था. एपी सिंह हों या रंजीत सिन्हा, इस सिस्टम में मोईन कुरैशी के हाथ इतने अंदर तक धंसे हैं कि मनी लॉन्ड्रिंग का पूरा मसला बिना किसी नतीजे के अधर में ही टंगा रह जाएगा, इसी बात का अंदेशा है.
अमेरिका के पेंसिलवानिया में अरबों रुपए की जालसाजी करने वाला जाफर नईम सादिक जब कोलकाता के रवींद्र सरणी इलाके में पकड़ा जाता है तब यह रहस्य खुलता है कि वह भी मोईन कुरैशी का ही आदमी है. इंटरपोल की नोटिस पर जाफर पकड़ा जाता है. बाद में यह रहस्य खुलता है कि जाफर नईम, दुबई के विनोद करनन और सिराज अब्दुल रज्जाक का नाम इंटरपोल की वांटेड-लिस्ट और उनकी तलाशी के लिए जारी रेड-कॉर्नर नोटिस से हटाने के लिए इंटरपोल के तत्कालीन प्रमुख रोनाल्ड के नोबल से कुरैशी ने सिफारिश की थी. नोबल ने यह आधिकारिक तौर पर स्वीकार किया है कि उसके मोईन कुरैशी परिवार और सीबीआई के तत्कालीन निदेशक एपी सिंह से नजदीकी सम्बन्ध रहे हैं. लेकिन नोबल ने इंटरपोल की लिस्ट से नाम हटाने के मसले को सिरे से खारिज कर दिया था. कुरैशी की सिफारिश को नकारने वाले इंटरपोल प्रमुख रोनाल्ड के नोबल के भाई जेम्स एल. नोबल जूनियर और भारत से फरार स्वनामधन्य ललित मोदी बिजनेस-पार्टनर हैं. अमेरिका में दोनों का विशाल साझा धंधा है. यह सीबीआई के रिकॉर्ड में है. रोनाल्ड नोबल वर्ष 2000 से 2014 तक की लंबी अवधि तक इंटरपोल के महासचिव रहे हैं.
केंद्रीय खुफिया एजेंसी काले धन की आमद-रफ्त का पूरा नेटवर्क जानने की कोशिश में लगी है. इसी क्रम में मुद्रा-धुलाई और हवाला सिंडिकेट के सरगना मोईन कुरैशी से जुड़े उन तमाम लोगों के लिंक खंगाले जा रहे हैं, जिनके कभी न कभी मोईन कुरैशी से सम्बन्ध रहे हैं या मोईन कुरैशी का धन उनके धंधे में लगा है. इनमें नेता, अफसर, व्यापारी और फिल्मकारों से लेकर माफिया सरगना तक शामिल हैं. जैसा ऊपर बताया, मोईन कुरैशी के काफी नजदीकी सम्बन्ध समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान से रहे हैं. यह सम्बन्ध इतने गहरे रहे हैं कि आजम खान की बनाई मोहम्मद अली जौहर युनिवर्सिटी के उद्घाटन के मौके पर मोईन कुरैशी चार्टर हेलीकॉप्टर से रामपुर आया था.
मोइन की सिफारिश से मिली आजम की यूनिवर्सिटी को मान्यता
सीबीआई गलियारे में भुनभुनाहट थी कि आजम खान की युनिवर्सिटी को अल्पसंख्यक विश्वविद्यालय की मान्यता दिलाने में मोईन कुरैशी ने यूपी के अल्पकालिक कार्यकारी राज्यपाल अजीज कुरैशी से सिफारिश की थी. स्वाभाविक है कि इसकी आधिकारिक पुष्टि छानबीन से ही होगी, क्योंकि इंटरपोल के महासचिव की तरह कोई यह स्वीकार तो करेगा नहीं कि मोईन कुरैशी से उनके दोस्ताना सम्बन्ध रहे हैं. यह भारतवर्ष के लोगों की खासियत है. इसी प्रसंग में याद करते चलें कि उत्तर प्रदेश के दो निवर्तमान राज्यपालों क्रमशः टीवी राजेस्वर और बीएल जोशी ने मौलाना जौहर अली युनिवर्सिटी को अल्पसंख्यक विश्वविद्यालय का दर्जा देने के विधेयक पर हस्ताक्षर करने से इन्कार कर दिया था. जोशी के जाने के बाद और राम नाईक के राज्यपाल बन कर आने के बीच में महज एक महीने के लिए यूपी के कार्यकारी राज्यपाल बनाए गए अजीज कुरैशी ने आनन-फानन मौलाना अली जौहर युनिवर्सिटी को अल्पसंख्यक विश्वविद्यालय की मान्यता के विधेयक पर हस्ताक्षर कर दिए. कुरैशी 17 जून 2014 को यूपी आए, 17 जुलाई 2014 को जौहर विश्वविद्यालय को अल्पसंख्यक विश्वविद्यालय की मान्यता दी और 21 जुलाई 2014 को वापस देहरादून चले गए.
फिल्मों में मोईन ने लगाया पैसा
मनी लॉन्ड्रिंग सरगना मोईन कुरैशी के साथ सम्बन्धों की बात तो प्रसिद्ध फिल्मकार मुजफ्फर अली भी स्वीकार नहीं करेंगे. जबकि असलियत यही है कि मुजफ्फर अली की फिल्म ‘जानिसार’ में मोईन कुरैशी का पैसा लगा और मोईन की बेटी परनिया कुरैशी इस फिल्म में हिरोइन बनी. ‘जानिसार’ फिल्म के प्रोड्यूसर में मीरा अली का नाम दिखाया गया, लेकिन सब जानते हैं कि फिल्म में मोईन कुरैशी ने पैसा लगाया था. बाप मोईन कुरैशी की तरह बेटी परनिया कुरैशी को भी कानून से खेल ने में मजा आता है. अमेजन इंडिया फैशन वीक-2016 के दरम्यान मीडिया के लिए निजी तौर पर कॉकटेल पार्टी (बेशकीमती शराब पीने-पिलाने की पार्टी) देकर परनिया कुरैशी चर्चा में रही.
मीडिया वालों ने पहले तो खूब दारू छकी और बाद में नुक्ताचीनी की कि परनिया कुरैशी फैशन डिज़ाइन काउंसिल ऑफ इंडिया की सदस्य नहीं हैं तो फिर कॉकटेल पार्टी कैसे दी. मजा यह है कि इस कॉकटेल पार्टी का नाम परनिया ने ‘रामपुर का कोला’ रखा था. हम आप सोचेंगे वही आजम खान का रामपुर… लेकिन वो कहेंगे, नहीं, मोईन कुरैशी का रामपुर. इसके पहले भी परनिया कुरैशी इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर स्मगलिंग के आरोप में पकड़ी और करीब 40 लाख रुपए का जुर्माना लेकर छोड़ी जा चुकी हैं. मोईन के अंतरंगों और उपकृतों की लिस्ट में ऐसे और कई नाम हैं. कांग्रेसियों के नाम तो भरे पड़े हैं. सोनिया गांधी का नाम इनमें शीर्ष पर है. पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद तो मोईन कुरैशी के रिश्तेदार ही हैं. वरिष्ठ कांग्रेस नेता अहमद पटेल, कमलनाथ, आरपीएन सिंह, मोहम्मद अजहरुद्दीन जैसे कई नेता इस सूची में शुमार हैं. ये उन नेताओं के नाम हैं जो मोईन कुरैशी के घर पर नियमित उठने-बैठने वाले हैं. सोनिया के घर पर मोईन परिवार नियमित तौर पर उठता-बैठता रहा है.
साढ़े पांच सौ घंटे की रिकॉर्डिंग उजागर हो तो तूफान आ जाएगा
इन्कम टैक्स विभाग की खुफिया शाखा ने मोईन कुरैशी की विभिन्न हस्तियों से होने वाली टेलीफोनिक बातचीत टेप की. उसके बारे में आईटी इंटेलिजेंस के सूत्र थोड़ी झलक दिखाते हैं तो लगता है कि कुरैशी का मनी लॉन्ड्रिंग का साम्राज्य पूरे सरकारी सिस्टम को समानान्तर चुनौती दे रहा है. तकरीबन साढ़े पांच सौ घंटे की रिकॉर्डिंग है. आईटी के अधिकारी ही कहते हैं कि इसे देश सुन ले तो भारतीय लोकतांत्रिक सिस्टम की असलियत प्रामाणिक रूप से समझ में आ जाए.
मनी लॉन्ड्रिंग मामले में इन्कम टैक्स की इंटेलिजेंस शाखा पहले से खुफिया जांच कर रही थी. आईटी इंटेलिजेंस ने मोईन कुरैशी की विभिन्न लोगों से टेलीफोन पर होने वाली बातचीत को तकरीबन साढ़े पांच सौ घंटे सुना था और उसे रिकॉर्ड किया था. इसमें केंद्र सरकार के कई मंत्री, यूपी समेत कई राज्य सरकारों के मंत्री, विभिन्न राजनीति क दलों के नेता, सीबीआई के अधिकारी, बड़े कॉरपोरेट घरानों के अलमबरदार, कई फिल्मी हस्तियां समेत ढेर सारे महत्वपूर्ण लोग शामिल हैं. आप हैरत न करें, इनमें भाजपा के भी कई नेताओं के नाम हैं. एक वरिष्ठ भाजपा नेता की बेटी का नाम भी है और उस भाजपा नेता का भी नाम है जो मोईन कुरैशी के भाई को रामपुर से टिकट दिलाने की कोशिश कर रहा था. यह अपने आप में बहुत बड़ा रहस्योद्घाटन होगा, अगर उसे सार्वजनिक कर दिया जाए.
मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मोईन कुरैशी के जाल में फंसने और सीबीआई के दो-दो निदेशकों के उसके साथ सम्बन्ध उजागर होने के बाद देशभर में चर्चा हुई, निंदा प्रस्ताव जारी हुए और अपने-अपने तरीके से नेताओं ने इसे खूब भुनाया. लेकिन किसी भी नेता ने सार्वजनिक तौर पर यह चर्चा नहीं की कि ब्रिटेन की खुफिया एजेंसी ने केंद्र सरकार को पहले ही क्या सूचना दे दी थी. ब्रिटेन की खुफिया एजेंसी ने भारतीय खुफिया एजेंसी को आगाह करते हुए यह बता दिया था कि दुबई के एक बैंक अकाउंट से 30 करोड़ रुपए ट्रांसफर हुए हैं. अकाउंटधारी भारतीय है और यह पैसा सीबीआई के निदेशक को घूस देने के लिए भेजा गया है. केंद्र सरकार न तो उस अकाउंट को जब्त कर पाई और न अकाउंटधारी को ही पकड़ा जा सका.
सीबीआई के निदेशक के पद पर रहते हुए एपी सिंह और रंजीत सिन्हा, दोनों मोईन कुरैशी की फर्म ‘एसएम प्रोडक्शन्स’ को सीबीआई के विभागीय कार्यक्रमों के आयोजन का भी ठेका देते रहे हैं. इसे मोईन कुरैशी की दूसरी बिटिया सिल्विया कुरैशी संचालित करती थी. सीबीआई के निदेशकों के साथ मोईन कुरैशी के इंटरपोल के प्रमुख रोनाल्ड के नोबल के करीबी सम्बन्धों के बारे में आपने ऊपर जाना. साथ-साथ यह भी जानते चलें कि सीबीआई और ईडी दोनों एजेंसियों के अधिकारी फ्रांस के आर्किटेक्ट जीन लुईस डेनॉयट को मोईन कुरैशी के हवाला धंधे के सिंडिकेट से सक्रिय तौर पर जुड़ा हुआ सदस्य बताते हैं. …केवल बताते हैं, उनका कुछ बिगाड़ नहीं पाते हैं.
नोट- वरिष्ठ खोजी पत्रकार प्रभात रंजन दीन की यह रिपोर्ट उनकी अनुमति से शब्दशः प्रकाशित की गई है। इस रिपोर्ट में प्रकाशित तथ्यों के लिए इंडिया संवाद का प्रबंधन जिम्मेदार नहीं है।