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पाण्डव निर्जला एकादशी व्रत कथा

11 मई 2022

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जीवन मंत्र :-  निर्जला एकादशी का व्रत ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को किया जाता है। हिन्दू धर्म में एकादशी व्रत का मात्र धार्मिक महत्त्व ही नहीं है। ये व्रत मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य के नज़रिए से भी बहुत महत्त्वपूर्ण है। एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की आराधना को समर्पित होता है। इस एकादशी का व्रत करके श्रद्धा और सामर्थ्य के अनुसार दान करना चाहिए। इस दिन विधिपूर्वक जल कलश का दान करने वालों को पूरे साल की एकादशियों का फल मिलता है। इस प्रकार जो इस पवित्र एकादशी का व्रत करता है, वह समस्त पापों से मुक्त हो जाता है।

एकादशी व्रत का इतिहास :-

एक बार बहुभोजी भीमसेन ने व्यासजीके मुख से प्रत्येक एकादशी को निराहार रहने का नियम सुनकर विनम्र भाव से निवेदन किया कि ‘महाराज! मुझसे कोई व्रत नही किया जाता। दिन भर बड़ी तीव्र क्षुधा बनी ही रहती है। अतः आप कोई ऐसा उपाय बतला दीजिये जिसके प्रभाव से स्वत: सद्गति हो जाय।‘ तब व्यासजी ने कहा कि ‘तुमसे वर्षभर की सम्पूर्ण एकादशी नहीं हो सकती तो केवल एक निर्जला कर लो, इसीसे सालभर की एकादशी करने के समान फल हो जायगा।’ तब भीम ने वैसा ही किया और स्वर्ग को गये।  इसलिए यह एकादशी \' भीमसेनी एकादशी\' के नाम से भी जानी जाती है।

निर्जला एकादशी का महत्व :-

निर्जला यानि यह व्रत बिना जल ग्रहण किए और उपवास रखकर किया जाता है। इसलिए यह व्रत कठिन तप और साधना के समान महत्त्व रखता है। हिन्दू पंचाग अनुसार वृषभ और मिथुन संक्रांति के बीच शुक्ल पक्ष की एकादशी निर्जला एकादशी कहलाती है। इस व्रत को भीमसेन एकादशी या पांडव एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक मान्यता है कि पाँच पाण्डवों में एक भीमसेन ने इस व्रत का पालन किया था और वैकुंठ को गए थे।इसलिए इसका नाम भीमसेनी एकादशी भी हुआ।

सिर्फ निर्जला एकादशी का व्रत कर लेने से अधिकमास की दो एकादशियों सहित साल की 25 एकादशी व्रत का फल मिलता है। जहाँ साल भर की अन्य एकादशी व्रत में आहार संयम का महत्त्व है। वहीं निर्जला एकादशी के दिन आहार के साथ ही जल का संयम भी ज़रूरी है। इस व्रत में जल ग्रहण नहीं किया जाता है यानि निर्जल रहकर व्रत का पालन किया जाता है। यह व्रत मन को संयम सिखाता है और शरीर को नई ऊर्जा देता है। यह व्रत पुरुष और महिलाओं दोनों द्वारा किया जा सकता है।  व्रत का विधान है।

दिनभर इन बातों का ध्यान रखें

1. पवित्रीकरण के समय जल आचमन के अलावा अगले दिन सूर्योदय तक पानी नहीं पीएं।

2. दिनभर कम बोलें और हो सके तो मौन रहने की कोशिश करें।

3. दिनभर न सोएं।

4. ब्रह्मचर्य का पालन करें।

5. झूठ न बोलें, गुस्सा और विवाद न करें।

व्रत कथा  :-  जब वेदव्यास ने पांडवों को चारों पुरुषार्थ- धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष देने वाले एकादशी व्रत का संकल्प कराया था। तब युधिष्ठिर ने कहा - जनार्दन! ज्येष्ठ मास के शुक्लपक्ष में जो एकादशी पड़ती हो, कृपया उसका वर्णन कीजिए। भगवान श्रीकृष्ण ने कहा हे राजन् ! इसका वर्णन परम धर्मात्मा व्यासजी करेंगे, क्योंकि ये सम्पूर्ण शास्त्रों के तत्त्वज्ञ और वेद वेदांगों के पारंगत विद्वान् हैं।

तब वेदव्यासजी कहने लगे- कृष्ण और शुक्ल पक्ष की एकादशी में अन्न खाना वर्जित है। द्वादशी को  स्नान करके पवित्र होकर फूलों से भगवान केशव की पूजा करें। फिर पहले ब्राह्मणों को भोजन देकर अन्त में स्वयं भोजन करें। यह सुनकर भीमसेन बोले- परम बुद्धिमान पितामह! मेरी उत्तम बात सुनिए। राजा युधिष्ठिर, माता कुन्ती, द्रौपदी, अर्जुन, नकुल और सहदेव, ये एकादशी को कभी भोजन नहीं करते तथा मुझसे भी हमेशा यही कहते हैं कि भीमसेन एकादशी को तुम भी न खाया करो परन्तु मैं उन लोगों से यही कहता हूँ कि मुझसे भूख नहीं सही जाएगी।

भीमसेन की बात सुनकर व्यासजी ने कहा- यदि तुम नरक को दूषित समझते हो और तुम्हें स्वर्गलोक की प्राप्ति अभीष्ट है और तो दोनों पक्षों की एकादशियों के दिन भोजन नहीं करना।

भीमसेन बोले महाबुद्धिमान पितामह! मैं आपके सामने सच कहता हूँ। मुझसे एक बार भोजन करके भी व्रत नहीं किया जा सकता, तो फिर उपवास करके मैं कैसे रह सकता हूँ। मेरे उदर में वृक नामक अग्नि सदा प्रज्वलित रहती है, अत: जब मैं बहुत अधिक खाता हूँ, तभी यह शांत होती है। इसलिए महामुनि ! मैं पूरे वर्षभर में केवल एक ही उपवास कर सकता हूँ। जिससे स्वर्ग की प्राप्ति सुलभ हो तथा जिसके करने से मैं कल्याण का भागी हो सकूँ, ऐसा कोई एक व्रत निश्चय करके बताइये। मैं उसका यथोचित रूप से पालन करुँगा।

व्यासजी ने कहा- भीम! ज्येष्ठ मास में सूर्य वृष राशि पर हो या मिथुन राशि पर, शुक्लपक्ष में जो एकादशी हो, उसका यत्नपूर्वक निर्जल व्रत करो। केवल कुल्ला या आचमन करने के लिए मुख में जल डाल सकते हो, उसको छोड़कर किसी प्रकार का जल विद्वान् पुरुष मुख में न डालें, अन्यथा व्रत भंग हो जाता है। एकादशी को सूर्योदय से लेकर दूसरे दिन के सूर्योदय तक मनुष्य जल का त्याग करे तो यह व्रत पूर्ण होता है। इसके बाद द्वादशी को प्रभातकाल में स्नान करके ब्राह्मणों को विधिपूर्वक जल और सुवर्ण का दान करे। इस प्रकार सब कार्य पूरा करके जितेन्द्रिय पुरुष ब्राह्मणों के साथ भोजन करें। वर्षभर में जितनी एकादशियां होती हैं, उन सबका फल इस निर्जला एकादशी  से मनुष्य प्राप्त कर लेता है, इसमें तनिक भी सन्देह नहीं है। शंख, चक्र और गदा धारण करनेवाले भगवान केशव ने मुझसे कहा था कि ‘यदि मानव सबको छोड़कर एकमात्र मेरी शरण में आ जाय और एकादशी को निराहार रहे तो वह सब पापों से छूट जाता है।\"

कुन्तीनन्दन! निर्जला एकादशी के दिन श्रद्धालु स्त्री पुरुषों के लिए जो विशेष दान और कर्त्तव्य विहित हैं, उन्हें सुनो। उस दिन जल में शयन करने वाले भगवान विष्णु का पूजन और जलमयी धेनु यानी पानी में खड़ी गाय का दान करना चाहिए, सामान्य गाय या घी से बनी गाय का दान भी किया जा सकता है। इस दिन दक्षिणा और कई तरह की मिठाइयों से ब्राह्मणों को सन्तुष्ट करना चाहिए। उनके संतुष्ट होने पर श्रीहरि मोक्ष प्रदान करते हैं।

जिन्होंने श्रीहरि की पूजा और रात्रि में जागरण करते हुए इस निर्जला एकादशी का व्रत किया है, उन्होंने अपने साथ ही बीती हुई सौ पीढ़ियों को और आने वाली सौ पीढ़ियों को भगवान वासुदेव के परम धाम में पहुँचा दिया है। निर्जला एकादशी के दिन अन्न, वस्त्र, गौ, जल, शैय्या, सुन्दर आसन, कमण्डलु तथा छाता दान करने चाहिए। जो श्रेष्ठ तथा सुपात्र ब्राह्मण को जूता दान करता है, वह सोने के विमान पर बैठकर स्वर्गलोक में प्रतिष्ठित होता है। जो इस एकादशी की महिमा को भक्तिपूर्वक सुनता अथवा उसका वर्णन करता है, वह स्वर्गलोक में जाता है। चतुर्दशीयुक्त अमावस्या को सूर्यग्रहण के समय श्राद्ध करके मनुष्य जिस फल को प्राप्त करता है, वही फल इस कथा को सुनने से भी मिलता है।

भीमसेन! ज्येष्ठ मास में शुक्ल पक्ष की जो शुभ एकादशी होती है, उसका निर्जल व्रत करना चाहिए। उस दिन श्रेष्ठ ब्राह्मणों को शक्कर के साथ जल के घड़े दान करने चाहिए। ऐसा करने से मनुष्य भगवान विष्णु के समीप पहुँचकर आनन्द का अनुभव करता है। इसके बाद द्वादशी को ब्राह्मण भोजन कराने के बाद स्वयं भोजन करे। जो इस प्रकार पूर्ण रूप से पापनाशिनी एकादशी का व्रत करता है, वह सब पापों से मुक्त हो आनंदमय पद को प्राप्त होता है। यह सुनकर भीमसेन ने भी इस शुभ एकादशी का व्रत आरम्भ कर दिया।

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रचनाएँ
व्रत कथाओं का संकलन
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यह संसार, यह शरीर, सुख-दुख सब परिवर्तनशील हैं। इस कारण मानव को व्रत और वेदांत दोनों की आवश्यकता होती है और होती रहेगी। व्रत और वेदांत हर परिस्थिति में मानव का संबल बनते हैं। आपने पढ़ा कि-वर्ष में २४ एकादशी व्रत होता है और २४ प्रदोष व्रत होता है। जिनमे की अलग-अलग दिन पड़ने वाले प्रदोष को वार के उस नाम से जाना जाता है, इन व्रतों में एकादशी व्रत भगवान विष्णु को तो प्रदोष व्रत शिवजी को समर्पित है। इसी प्रकार सप्ताह के सात दिन में सात व्रत होती है|
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श्री महालक्ष्मी व्रत कथा

10 मई 2022
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महालक्ष्मी देवी धन और समृद्धि की देवी हैं। इसलिए, धनी और समृद्ध जीवन की कामना करने वाले भक्तों द्वारा लगातार सोलह दिनों तक उनकी पूजा की जाती है। इस व्रत से जुड़ी एक किंवदंती के अनुसार, पांडव राजा युधि

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श्री गणेश जी की व्रत कथा

10 मई 2022
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श्री गणेश जी परम पूजिये हैं। ऐसा कहा जाता है कि किसी भी कार्य से पहले या पूजा विधि शुरू करने से पहले श्री गणेश की पूजा करना महत्वपूर्ण है, और कई लाभ लाता है। साथ ही जब कोई गणेश जी का व्रत रखता है तो श

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करवा चौथ की पौराणिक व्रत कथा

10 मई 2022
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करवा चौथ एक बहुत ही प्रसिद्ध व्रत है। यह न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में हिंदू परंपरा का पालन करने वाली महिलाओं द्वारा मनाया जाता है। करवा चौथ एक बहुत ही प्रसिद्ध व्रत है। यह न केवल भारत में बल

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अहोई अष्टमी व्रत कथा

10 मई 2022
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अहोई अष्टमी उत्तर भारत में एक महत्वपूर्ण त्योहार है। अहोई अष्टमी के दिन ज्यादातर माताएं अपने बच्चों की भलाई के लिए एक दिन का उपवास रखती हैं। करवा चौथ के चार दिन बाद अहोई अष्टमी का व्रत किया जाता है।

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भाई दूज की कथा

10 मई 2022
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कहानी 1 भाई दूज को लेकर एक पौराणिक कथा है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, सूर्य देव और उनकी पत्नी संग्या को संतान की प्राप्ति हुई, पुत्र का नाम यम और पुत्री का नाम यमुना था। सन्न्या भगवान सूर्यदेव की तपस्य

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होलिका और प्रहलाद की व्रत कथा

10 मई 2022
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हिरण्यकश्यप और उसकी पत्नी कयाधु के पुत्र प्रहलाद का जन्म और पालन-पोषण ऋषि नारद के मार्गदर्शन में हुआ था, जब हिरण्यकशिपु अमरता प्राप्त करने के लिए भगवान ब्रह्मा को प्रसन्न करने में व्यस्त था। प्रहलाद

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सोमवार व्रत कथा

10 मई 2022
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ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति भगवान शिव को समर्पित है और सोमवार का व्रत रखता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। आज तक लोग सोमवार का व्रत रखते हैं और इसी के साथ इस कथा को सुनते हैं। एक कस्बे में ए

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श्री सत्यनारायण कथा (प्रथम अध्याय)

10 मई 2022
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एक समय की बात है नैषिरण्य तीर्थ में शौनिकादि, अठ्ठासी हजार ऋषियों ने श्री सूतजी से पूछा हे प्रभु! इस कलियुग में वेद विद्या रहित मनुष्यों को प्रभु भक्ति किस प्रकार मिल सकती है? तथा उनका उद्धार कैसे होग

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श्री सत्यनारायण कथा (द्वितीय अध्याय)

10 मई 2022
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सूत जी बोले: हे ऋषियों ! जिसने पहले समय में इस व्रत को किया था उसका इतिहास कहता हूँ, ध्यान से सुनो! सुंदर काशीपुरी नगरी में एक अत्यंत निर्धन ब्राह्मण रहता था। भूख प्यास से परेशान वह धरती पर घूमता रहता

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श्री सत्यनारायण कथा (तृतीय अध्याय)

10 मई 2022
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सूतजी बोले: हे श्रेष्ठ मुनियों, अब आगे की कथा कहता हूँ। पहले समय में उल्कामुख नाम का एक बुद्धिमान राजा था। वह सत्यवक्ता और जितेन्द्रिय था। प्रतिदिन देव स्थानों पर जाता और निर्धनों को धन देकर उनके कष्ट

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श्री सत्यनारायण कथा (चतुर्थ अध्याय)

10 मई 2022
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सूतजी बोले: वैश्य ने मंगलाचार कर अपनी यात्रा आरंभ की और अपने नगर की ओर चल दिए। उनके थोड़ी दूर जाने पर एक दण्डी वेशधारी श्रीसत्यनारायण ने उनसे पूछा: हे साधु तेरी नाव में क्या है? अभिवाणी वणिक हंसता हुआ

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श्री सत्यनारायण कथा (पंचम अध्याय)

10 मई 2022
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सूतजी बोले: हे ऋषियों ! मैं और भी एक कथा सुनाता हूँ, उसे भी ध्यानपूर्वक सुनो! प्रजापालन में लीन तुंगध्वज नाम का एक राजा था। उसने भी भगवान का प्रसाद त्याग कर बहुत ही दुख सान किया। एक बार वन में जाकर वन

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मंगलवार व्रत कथा

10 मई 2022
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ऋषिनगर में केशवदत्त ब्राह्मण अपनी पत्नी अंजलि के साथ रहता था। केशवदत्त के घर में धन-संपत्ति की कोई कमी नहीं थी। नगर में सभी केशवदत्त का सम्मान करते थे, लेकिन केशवदत्त संतान नहीं होने से बहुत चिंतित रह

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बृहस्पतिवार की व्रत कथा

10 मई 2022
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॥ अथ श्री बृहस्पतिवार व्रत कथा ॥ भारतवर्ष में एक प्रतापी और दानी राजा राज्य करता था। वह नित्य गरीबों और ब्राह्मणों की सहायता करता था। यह बात उसकी रानी को अच्छी नहीं लगती थी, वह न ही गरीबों को दान देत

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साईं बाबा व्रत कथा

10 मई 2022
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एक बार की बात है। कोकिला नाम की एक महिला अपने पति महेश भाई के साथ गुजरात के एक शहर में रहती थी। वे दोनों एक-दूसरे के साथ प्रेम भाव से रहते थे। लेकिन उसके पति का स्वभाव बहुत ही झगड़ालू था। वही कोकिला ब

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संतोषी माता व्रत कथा

10 मई 2022
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एक बुढ़िया थी, उसके सात बेटे थे। 6 कमाने वाले थे जबकि एक निक्कमा था। बुढ़िया छहों बेटों की रसोई बनाती, भोजन कराती और उनसे जो कुछ जूठन बचती वह सातवें को दे देती। एक दिन वह पत्नी से बोला- देखो मेरी माँ क

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रविवार की व्रत कथा

10 मई 2022
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प्राचीन काल में एक बुढ़िया रहती थी। वह नियमित रूप से रविवार का व्रत करती। रविवार के दिन सूर्योदय से पहले उठकर बुढ़िया स्नानादि से निवृत्त होकर आंगन को गोबर से लीपकर स्वच्छ करती, उसके बाद सूर्य भगवान की

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तुलसी विवाह की पौराणिक कथा

10 मई 2022
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हिंदू धर्म में तुलसी पूजन का बड़ा महत्त्व है। ऐसा माना जाता है की तुलसी में साक्षात लक्ष्मी जी का निवास है। महिलायें तुलसी विवाह भी करती हैं जो की कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वादशी को होती है। ऐसी मान्यता

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सकट चौथ की व्रत कथा

10 मई 2022
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आज सकट चौथ का व्रत मनाया जाता है। आज शाम को गणेश जी की पूजा होती है और गणेश जी की कथा सुनी जाती है। आप आज के व्रत की कोई भी प्रचलित कथा सुन एवं पढ़ सकते हैं। सकट चौथ के व्रत में शंकर भगवान और गणेश जी क

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सुन्दरकाण्ड श्री रामचरित मानस

10 मई 2022
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॥श्लोक॥ शान्तं शाश्वतमप्रमेयमनघं निर्वाणशान्तिप्रदं। ब्रह्माशम्भुफणीन्द्रसेव्यमनिशं वेदान्तवेद्यं विभुम्॥ रामाख्यं जगदीश्वरं सुरगुरुं मायामनुष्यं हरिं। वन्देऽहं करुणाकरं रघुवरं भूपालचूडामणिम्॥१॥

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तिल चौथ की व्रत कथा

10 मई 2022
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एक शहर में देवरानी - जेठानी रहती थी। जेठानी अमीर थी और वहीँ देवरानी गरीब थी। देवरानी गणेश जी की भक्त थी। देवरानी का पति जंगल से लकड़ी काट कर बेचता था और अक्सर बीमार ही रहता था। देवरानी, जेठानी के घर का

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वट सावित्री व्रत कथा

10 मई 2022
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यह विवाहित हिंदू महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण पालन है, व्रत ज्येष्ठ के महीने में या तो पुरीना या अमावस्या पर मनाया जाता है। उपवास 'त्रयोदशी' (13 वेंदिन) से शुरू होता है और पूर्णि माया अमावस्या पर समाप

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बुधवार व्रत कथा

10 मई 2022
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पौराणिक कथा के अनुसार, मधुसूदन नाम का एक व्यक्ति समतापुर नगर में रहता था. उसका विवाह पास के ही बलरामपुर की संगीता से हुआ था. वह सुंदर और सुशील थी. एक दिन मधुसूदन अपनी पत्नी को साथ लाने के लिए अपने ससु

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कामदा एकादशी व्रत कथा

11 मई 2022
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कामदा एकादशी यह व्रत रखने से पाप और कष्ट मिटते हैं. भगवान श्री विष्णु की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं. जो लोग व्रत रखते हैं, उनको कामदा एकादशी व्रत कथा का पाठ

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पुत्रदा एकादशी व्रत कथा

11 मई 2022
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पुत्रदा एकादशी का महत्त्व: श्री युधिष्ठिर कहने लगे कि हे भगवान! मैंने श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की कामिका एकादशी का सविस्तार वर्णन सुना। अब आप मुझे श्रावण शुक्ल एकादशी का क्या नाम है? व्रत करने की विध

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षटतिला एकादशी की व्रत कथा

11 मई 2022
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पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार नारद जी ने भगवान विष्णु से षटतिला एकादशी की कथा और उसके महत्व के बारे में बताने का निवेदन किया. तब श्रीहरि विष्णु ने उनको षटतिला एकादशी की कथा सुनाई, जिससे इस व्रत के महत

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जया एकादशी व्रत कथा

11 मई 2022
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जया एकादशी व्रत आज है. माघ शुक्ल एकादशी को जया एकादशी व्रत रखा जाता है. इस दिन भगवान विष्णु  की पूजा करते हैं और जया एकादशी व्रत कथा का श्रवण करते हैं. इस व्रत कथा के श्रवण से व्रत का पूर्ण फल प्राप्त

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विजया एकादशी व्रत कथा

11 मई 2022
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विजया एकादशी का व्रत आज 26 फरवरी दिन शनिवार को है. इस व्रत को करने से विजय की प्राप्ति होती है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और व्रत कथा का श्रवण किया जाता है. इस व्रत कथा के श्रवण करने या पढ़

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विजया एकादशी व्रत कथा

11 मई 2022
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विजया एकादशी का व्रत आज 26 फरवरी दिन शनिवार को है. इस व्रत को करने से विजय की प्राप्ति होती है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और व्रत कथा का श्रवण किया जाता है. इस व्रत कथा के श्रवण करने या पढ़

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आमलकी एकादशी व्रत कथा

11 मई 2022
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आमलकी एकादशी का व्रत हर वर्ष फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को होता है। इस वर्ष आमलकी एकादशी  इस दिन आंवले के पेड़ के नीचे भगवान विष्णु जी की पूजा विधि विधान से की जाती है। दिन भर व्रत रखा ज

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पापमोचनी एकादशी व्रत कथा

11 मई 2022
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पापमोचनी एकादशी व्रत  पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को पापमोचनी एकादशी का व्रत रखा जाता है. इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा करते हैं और पापमोचनी एकादशी व्रत कथा का पाठ क

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कामदा एकादशी व्रत कथा

11 मई 2022
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कामदा एकादशी व्रत विधि :-  आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करने वाली कामदा एकादशी की पूजा विधि इस प्रकार है: इस दिन स्नान से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लें और भगवान की पूजा करें।  एकादशी व्रत के एक दिन

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वरुथिनी एकादशी व्रत कथा

11 मई 2022
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यह व्रत वरुथिनी एकादशी के नाम से प्रसिद्ध है. इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा करने से कष्ट एवं दुख दूर होते हैं और स्वर्ग की प्राप्ति होती है. जिन पर भगवान विष्णु की कृपा होती है, उनको मृत्यु के ब

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मोहिनी एकादशी व्रत कथा

11 मई 2022
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मोहिनी एकादशी को लेकर एक और कथा प्रचलित :-  पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार की बात है प्रभु श्री राम जी ने महर्षि वशिष्ठ से कहा हे गुरुश्रेष्ठ! मैंने जनक नंदिनी सीता जी के वियोग में बहुत कष्ट भोगे है

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अपरा एकादशी व्रत कथा

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हिंदी पंचाग के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष के प्रत्येक ग्यारहवीं तिथि को एकाशी कहते हैं। एक वर्ष में कुल 24 एकादशी पड़ते हैं। वहीं, मलमास होने पर इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। एकादशी के दिन भगवान विष्

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पाण्डव निर्जला एकादशी व्रत कथा

11 मई 2022
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जीवन मंत्र :-  निर्जला एकादशी का व्रत ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को किया जाता है। हिन्दू धर्म में एकादशी व्रत का मात्र धार्मिक महत्त्व ही नहीं है। ये व्रत मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य के

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योगिनी एकादशी व्रत

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योगिनी एकादशी  प्रत्येक वर्ष आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। योगिनी एकादशी व्रत को करने से 88 हजार ब्राह्राणों को भोजन करने के बराबर का फल मिलता है इसलिए इस व्रत का अपना विशेष म

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देवशयनी एकादशी व्रत कथा

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देवशयनी एकादशी का महत्त्व: ब्रह्म वैवर्त पुराण में देवशयनी एकादशी के विशेष माहात्म्य का वर्णन किया गया है। इस व्रत से प्राणी की समस्त मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। यह एकादशी आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की ए

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कामिका एकादशी व्रत कथा

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महाभारतकाल में एक समय में कुंतीपुत्र धर्मराज युधिष्ठिर ने श्री कृष्ण ने कहा, “हे भगवन, कृपा करके मुझे श्रावण कृष्ण एकादशी का नाम और महत्व बताइए। श्रीकृष्ण ने कहा कि हे युधिष्ठिर! इस एकादशी की कथा एक स

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श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत कथा

11 मई 2022
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मान्यता है कि इस एकादशी व्रत के पुण्य प्रभाव से संतान सुख की प्राप्ति का वरदान प्राप्त होता है। एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को श्रावण पुत्र

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अजा एकादशी व्रत कथा

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अजा एकादशी का महत्त्व: अर्जुन ने कहा: हे पुण्डरिकाक्ष! मैंने श्रावण शुक्ल एकादशी अर्थात पुत्रदा एकादशी का सविस्तार वर्णन सुना। अब आप कृपा करके मुझे भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी के विषय में भी

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परिवर्तिनी एकादशी व्रत कथा

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पद्मा एकादशी या 'परिवर्तनी एकादशी' भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को कहा जाता है। यह लक्ष्मी का परम आह्लादकारी व्रत है। इस दिन आषाढ़ मास से शेष शैय्या पर निद्रामग्न भगवान विष्णु शयन करते हुए करवट

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इंदिरा एकादशी की व्रत कथा

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पितृ पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को इंदिरा एकादशी कहा जाता है। हिंदू धर्म में एकादशी का बहुत अधिक महत्व होता है। इस पावन दिन भगवान विष्णु की विधि- विधान से पूजा- अर्चना की.. पितृ पक्ष में पड़ने वाली ए

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पापांकुशा एकादशी व्रत कथा

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पापांकुशा एकादशी का महत्त्व: अर्जुन कहने लगे कि हे जगदीश्वर! मैंने आश्विन कृष्ण एकादशी अर्थात इंदिरा एकादशी का सविस्तार वर्णन सुना। अब आप कृपा करके मुझे आश्विन/क्वार माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के वि

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रमा एकादशी व्रत कथा

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रमा एकादशी कब मनाई जाती हैं उत्तरी भारत के कैलेंडर के अनुसार रमा एकादशी कार्तिक माह में आती है, जबकि तमिल कैलेंडर में ये पुरातास्सी महीने में आती है. आंध्रप्रदेश, कर्नाटका, गुजरात एवं महाराष्ट्र में

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देवोत्थान / प्रबोधिनी एकादशी व्रत कथा

11 मई 2022
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देवोत्थान एकादशी का महत्त्व: धर्मराज युधिष्ठिर कहने लगे कि हे भगवान! मैंने कार्तिक कृष्ण एकादशी अर्थात रमा एकादशी का सविस्तार वर्णन सुना। अब आप कृपा करके मुझे कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के व

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उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा

11 मई 2022
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उत्पन्ना एकादशी का महत्त्व: धर्मराज युधिष्ठिर कहने लगे कि हे भगवान! मैंने कार्तिक शुक्ल एकादशी अर्थात प्रबोधिनी एकादशी का सविस्तार वर्णन सुना। अब आप कृपा करके मुझे मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एका

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मोक्षदा एकादशी व्रत कथा

11 मई 2022
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मोक्षदा एकादशी का महत्त्व: धर्मराज युधिष्ठिर कहने लगे कि हे भगवान! मैंने मार्गशीर्ष कृष्ण एकादशी अर्थात उत्पन्ना एकादशी का सविस्तार वर्णन सुना। अब आप कृपा करके मुझे मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एक

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सफला एकादशी व्रत कथा

11 मई 2022
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सफला एकादशी का महत्त्व: धर्मराज युधिष्ठिर कहने लगे कि हे जनार्दन! मैंने मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी अर्थात मोक्षदा एकादशी का सविस्तार वर्णन सुना। अब आप कृपा करके मुझे पौष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी के व

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पहला प्रदोष व्रत,

11 मई 2022
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हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है। हर माह दो प्रदोष व्रत पड़ते हैं। एक शुक्ल पक्ष में और दूसरा कृष्ण पक्ष में। इस व्रत का नाम प्रदोष माना गया है।  हिंदू पंचां

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शनिवार पहला प्रदोष व्रत कथा

11 मई 2022
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हर महीने में प्रदोष व्रत दो बार आता है. एक कृष्ण पक्ष में और एक शुक्ल पक्ष में. साल के पहले महीने जनवरी में इस बार पहला प्रदोष व्रत  है. इसलिये इसे शन‍ि प्रदोष भी कहा जाता है. प्रदोष व्रत के दिन भगवान

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सोम प्रदोष व्रत

11 मई 2022
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भगवान विष्णु की पूजा के लिए जिस तरह एकादशी को अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है, उसी प्रकार भगवान शिव की पूजा के लिए प्रदोष का विशेष महत्व है। इसमें भी सोमवार को पड़ने वाला प्रदोष श्रेष्ठ माना जाता है।

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