एक बार की बात है। कोकिला नाम की एक महिला अपने पति महेश भाई के साथ गुजरात के एक शहर में रहती थी। वे दोनों एक-दूसरे के साथ प्रेम भाव से रहते थे। लेकिन उसके पति का स्वभाव बहुत ही झगड़ालू था। वही कोकिला बहन बहुत ही धार्मिक स्वभाव की थी। वह भगवान पर हमेशा आस्था रखती थी। झगड़ालू स्वभाव होने के कारण उसके पति का धंधा समाप्त होने लगा था। घर में कमाने का दूसरा जरिया भी नहीं था। काम ना होने के कारण कोकिला बहन का पति घर में दिन भर रहने लगा।
इस दौरान उसका पति गलत राह भी पकड़ लिया। खाली रहने के कारण उसका स्वभाव भी बहुत अधिक चिड़चिड़ा हो गया। एक दिन दोपहर में एक बुजुर्ग दरवाजे पर आकर खड़ा होकर कोकिला से दाल चावल मांगने लगा। शांत और धार्मिक स्वभाव होने के कारण कोकिला बहन ने चावल और दाल उस बुजुर्ग को देकर अपने दोनों हाथों से उन्हें नमस्कार किया। यह देखकर उस बुजुर्ग इंसान ने उसे साईं बाबा सुखी रखें कहा।
यह सुनकर कोकिला बहन कही बाबा सुखी रहना मेरे किस्मत में शायद नहीं है। इसके बाद वह अपनी सारे दुख दर्द उस बुजुर्ग आदमी को बताने लगी। यह सुनकर उस बुजुर्ग आदमी ने कोकिला को साईं बाबा का व्रत रखने को कहा। उन्होंने कहा कि इस व्रत को करने से उसके जितने भी कष्ट हैं, वह दूर हो जाएंगे और बाबा का आशीर्वाद हमेशा उसके घर और उसके ऊपर बना रहेगा। उस बुजुर्ग की बात सुनकर कोकिला बहन ने 9 गुरुवार व्रत किया। बाबा के बताएं हुए तरीके से सभी कार्यों को किया। थोड़े दिन के बाद ही कोकिला बहन का घर में फिर से सुखी समृद्धि से भर गया।
दोनों पति-पत्नी सुख शांति के साथ अपना जीवन फिर से व्यतीत करने लगें। उसके पति का बंद हुआ काम फिर से चालू हो गया। महेश भाई का स्वभाव भी पहले से बिल्कुल बदल गया। कुछ दिन बाद कोकिला बहन के जेठ जेठानी सूरत से आए और बात करने के दौरान उन्होंने अपने बच्चों के पढ़ाई लिखाई में ध्यान ना देने की बात कही। उन्होनें बताया कि पढ़ाई लिखाई में ध्यान ना देने के कारण बच्चे परीक्षा में सफल नहीं हो पा रहे हैं।
यह सुनकर तब कोकिला बहन ने उन्हें 9 गुरुवार साईं बाबा का व्रत रखने को कहा और साथ में उनकी महिमा का बखान भी बताया। उन्होनें कहा की साईं बाबा की भक्ति से उनके बच्चे अच्छी तरह से पढ़ाई लिखाई कर पाएंगे। लेकिन ऐसा करने के लिए साईं बाबा पर विश्वास होना बहुत जरूरी है। यह सुनकर कोकिला बहन की जेठानी, जेठ और उनके बच्चे ने भी साईं बाबा का व्रत करना शुरू कर दिया। कुछ दिन बाद सूरत से उनकी जेठानी का खबर आया कि उनके बच्चें बहुत अच्छी तरह से पढ़ाई लिखाई करने लगें हैं। इस तरह साईं बाबा की महिमा से कोकिला बहन के साथ-साथ उनके जेठ-जेठानी की भी समस्या दूर हो गई और वह खुशी-खुशी से अपना जीवन व्यतीत करने लगे।