भगवान विष्णु की पूजा के लिए जिस तरह एकादशी को अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है, उसी प्रकार भगवान शिव की पूजा के लिए प्रदोष का विशेष महत्व है। इसमें भी सोमवार को पड़ने वाला प्रदोष श्रेष्ठ माना जाता है।
कहा जाता है कि इस दिन संतान प्राप्ति के लिए पंचगव्य से और लक्ष्मी प्राप्ति व कॅरियर में सफलता प्राप्ति के लिए भगवान शिव का दूध से अभिषेक करने के अलावा उन्हें फूलों की माला अर्पित करनी चाहिए। माना जाता है कि इस तरह से की जाने वाली पूजा भगवान शंकर को अत्यंत प्रसन्न करती है, जिससे वे आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी कर देते हैं।
प्रदोष व्रत में पूजा की विधिः
प्रदोष व्रत की पूजा के तहत इस दिन शिव मंदिर में या घर में ही बेलपत्र,धूप, दीप, अक्षत, गंगाजल आदि से भगवान शिव का पूजन करना चाहिए। पूजा के दौरान 'नम: शिवाय ओम नमः' शिवाय मंत्र का जाप करते रहना चाहिए।
प्रदोष व्रत पर न करें ये कार्य:
प्रदोष व्रत रखने वाले भक्तों को शिव पूजा में कभी भी तुलसी के पत्ते, केतकी के फूल, सिंदूर, हल्दी अर्पित नही करना चाहिए। इसके साथ ही शिव जी का अभिषेक भी शंख से नही करना चाहिए। प्रदोष व्रत रखने वाले व्रती को इस दिन अन्न, नमक, लाल मिर्च का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके अलावा इस दिन पूजा के समय (यानि प्रदोष बेला) का विशेष ध्यान अवश्य रखना चाहिए।