अहमदाबाद : गुजरात के नरोदा पाटिया दंगे की गुजरात हाईकोर्ट में सुनवाई वाली याचिका से एक और न्यायधीश ने खुद को अलग कर लिया है। न्यायमूर्ति अकील कुरैशी ऐसे लगातार तीसरे जज हैं जिन्होंने खुद को इस मामले से अलग किया है। इससे पहले न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति के एस झावेरी ने भी याचिकाओं पर सुनवाई से खुद को अलग कर चुके हैं। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार याचिकाएं जब सुनवाई के लिए उस पीठ के सामने लायी गयीं जिसमें न्यायमूर्ति अकील कुरैशी शामिल हैं, तो उन्होंने इसे देखने से इंकार कर दिया और कहा इसे मेरे सामने न लाएं।
गौरतलब है कि साल 2002 में हुए नरोदा पाटिया दंगे में गुजरात की पूर्व मंत्री माया कोडनानी और विश्व हिंदू परिषद के पूर्व नेता बाबू बजरंगी ने विशेष निचली अदालत के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी है। अगस्त, 2012 में निचली अदालत ने 31 लोगों को दोषी करार दिया था और माया सहित 30 लोगों को मौत की उम्रकैद की सजा सुनायी थी। बजरंगी को ‘‘मौत तक उम्रकैद’’ की सजा सुनायी गयी थी।
दंगे में बचे लोगों और मामले की जांच करने वाली उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित विशेष जांच दल :एसआईटी: ने भी सजा बढ़ाने की मांग को लेकर याचिकाएं दायर की हैं। 2002 में गोधरा में ट्रेन जलाने की घटना के एक दिन बाद नरोदा पाटिया में दंगे हुए थे जिसमें करीब 97 लोग मारे गए थे।