नई दिल्ली : नोटबंदी को लेकर शुरू में पीएम मोदी पर भड़के समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव और उनके बेटे सीएम अखिलेश अब परदे के पीछे से छिपकर क्यों इस मुद्दे पर राजनीति कर रहे हैं. दरअसल यादव परिवार ने पुरानी नोटों के बंडलों से जमकर गोल्ड की खरीददारी कर डाली है. इस मामले की जांच शुरू होते ही बाप बेटे जांच से बचने के लिए अब परदे के पीछे से राजनीति करते नजर आ रहे हैं.
क्यों कर रहे हैं परदे के पीछे से राजनीति ?
गौरतलब है कि सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव और उनके इन बेटे अखिलेश यादव जहां नोटबंदी को लेकर शुरू में पीएम मोदी पर जबरदस्त प्रहार किया था. लेकिन अब वही मुलायम और उनके बेटे अखिलेश इस मुद्दे पर अब विपक्ष के साथ मिलकर परदे के पीछे से सियासत कर रहे हैं. इसकी तजा मिसाल मंगलवार को तब देखने को मिली जब लखनऊ में आयोजित पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की रैली में सीएम अखिलेश ने स्वंय न जाकर अपने ग्राम विकास मंत्री अरविन्द सिंह गोप को उसमें भेज दिया. हालांकि ममता के लखनऊ आगमन पर अखिलेश ने उनका स्वागत जरूर किया.
क्या मुलायम और अखिलेश डरे हुए हैं ?
सूत्रों के मुताबिक सीएम अखिलेश को इस रैली में जाना था, लेकिन लखनऊ में रहकर भी वह इस रैली में जानकार इसलिए नहीं गए कि कहीं उनके खेल का पर्दा न उठ जाये. इसलिए अखिलेश ने ऐनवक्त पर गोप को इस रैली में भेज दिया. यही नहीं मुलायम सिंह संसद कि कार्यवाही में शामिल होने का बहाना बनाकर दिल्ली आ गए. बताया जाता है कि ममता बनर्जी को यादव परिवार कि यह लुक्का-छिप्पी का खेल तो बहुत बुरा लगा, लेकिन वह विपक्षी एकता को लेकर अपने ओंठ को सिलकर रह गयीं.
क्या पुरानी नोटों से ख़रीदे गए सोने ने कि बोलती बंद ?
सूत्रों के मुताबिक ऐसा कहा जा रहा है कि इनकम टैक्स कि टीम 8 नवंबर के बाद से लखनऊ के कुछ बड़े सर्राफा व्यवसाइयों के स्टाक में रखे करोड़ों रुपये के सोने को यादव परिवार ने बड़े सोने का स्टाक पुराने से ख़रीदा है.इस मामले ने जब टूल पकड़ा तो पहले मुलायम ने पीएम मोदी से बात कि और बाद में अप्रत्याशित सीएम पद के उम्मीदवार अखिलेश खुद दिल्ली के संसद भवन और पीएम हाउस में पीएम मोदी से मिलने पहुंचे. यही नहीं पीएम मोदी ने उनसे करीब आधे घंटे तक बात की.
मुलायम और अखिलेश परदे के पीछे क्यों ?
बहरहाल अब इसीलिए यादव परिवार कालेधन की किसी भी कार्यवाही में टांग फंसाना नहीं चाहता. बताया जाता है कि आयकर विभाग ने लखनऊ के उन सर्राफा व्यवसाइयों पर नकेल कसनी शुरू कर दी है, जिन्होंने 8 नवंबर के बाद सोना बेच था. इसीलिए यादव परिवार मायावती और ममता की तरह खुलकर मोदी सरकार पर प्रहार नहीं कर रहा है बल्कि वह बैकफुट पर चला गया है. दरअसल यादव परिवार ने अपने कालेधन को सोना खरीद कर सफ़ेद कर लिया है और अब अगर वह मोदी के खिलाफ कुछ बोलता है तो इसका खामियाजा उसे भुगतना पड़ सकता है. नतीजतन वह अब विपक्षियों के साथ मिलकर पर्दे के पीछे से लुक्का-छिप्पी का खेल इस मुद्दे पर कर रहा है.