नई दिल्लीः बसपा मुखिया मायावती बैकडोर से मुख्यमंत्री बनने की हसरत पाले हैं। उनकी सूची यह बात जाहिर कर रही है। यूपी विधानसभा चुनाव के लिए बसपा मुखिया मायावती ने सभी सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं, मगर सूची में उनका नाम कहीं नहीं हैं । कहा जा रहा है कि मायावती हवा का रुख देखकर फैसले कर रहीं हैं। उन्हें इस बात का डर है कि अगर विधानसभा चुनाव में वे हार गईं तो काफी किरकिरी होगी। ऐसे में अगर पार्टी जीतती है तब उपचुनाव में उतरने पर मामला अनुकूल रहेगा।
पार्टी की जीत पर उपचुनाव से बनेंगी विधायक
पार्टी सूत्र बता रहे हैं कि चुनाव में अगर बहुजन समाज पार्टी जीतती है तो मुख्यमंत्री मायावती ही बनेंगी। छह महीने के अंदर उन्हें विधानसभा या विधानपरिषद का सदस्य होना होगा। इसके लिए मायावती के पास दो रास्ता होगा। या तो वह अपने किसी विधायक की सीट पर उपचुनाव कराकर खुद विधायक बनें या फिर विधान परिषद का रुख करें। पार्टी की जीत पर दोनों तरीकों से वे आसानी से विधायक बन सकती हैं।
पहले भी आजमा चुकीं मायावती यह पैतरा
यह पहली बार नहीं है कि जब मायावती विधानसभा चुनाव में खुद नहीं उतर रहीं। इससे पहले 1996 और 2002 में भी मायावती ने चुनाव नहीं लड़ा था। बाद में वे विधायक बनी थी। पार्टी कार्यकर्ता कहते हैं कि मायावती अगर चुनाव लड़ेंगी तो उन्हें क्षेत्र में ज्यादा वक्त देना होगा, जबकि पूरी पार्टी उन्हीं के दम पर चुनाव लड़ेगी। ऐसे में उन्होंने चुनाव न लड़ने का फैसला किया है। ताकि वे हर विधानसभा सीट पर चुनाव प्रचार के लिए समय निकाल सकें।