दंतेवाड़ा: किसी दुर्घटना के बाद पुलिस मौके पर पहुंचती है और घायलों को अस्पताल पहुंचती है और मृतक को पोस्टमार्टम के लिए ले जाती है. लेकिन दंतेवाड़ा में जंगली सुअर के हमले से एक आदिवासी ग्रामीण की मौत हो जाने के बाद पुलिस ने परिजनों को ही बॉडी लेकर अस्पताल बुला लिया. इसके बाद जो नजारा था उसे देख सभी दंग थे. वही सामने से बत्तीयों वाली वीआईपी कारें गुरजती रही लेकिन कोई भी अफसर उतर मजबूर आदिवासियों की सुध नहीं ली.
जानिए क्या हैं पूरी घटना...
मुरकी के जयकापारा निवासी आदिवासी ग्रामीण बुधराम पिता बिज्जा, 37 का शव उसके परिजन कंधे पर ढोकर पोस्टमार्टम के लिए जिला हास्पिटल ले आए. इसके लिए उन्हें 8 किमी से ज्यादा पैदल चलकर आना पड़ा। उनके साथ रोती-बिलखती महिलाएं भी शव के पीछे दौड़ रही थीं . दरअसल वनोपज संग्रहण के लिए जंगल की तरफ गए बुधराम पर जंगली सुअर ने हमला कर दिया था. गंभीर चोट की वजह से उसकी मौके पर ही मौत हो गई। ग्रामीणों ने इसकी सूचना सिटी कोतवाली पुलिस को दी. पुलिस मौके पर नहीं गई बल्कि आदिवासियों को ही शव लेकर जिला हास्पिटल आने को कहा. गांव में वाहन की व्यवस्था नहीं होने से ग्रामीण बुधराम के शव को लकड़ी की बल्ली के सहारे कंधे पर ढोकर परिजन हास्पिटल ले आए. मृतक के चचेरे भाई कोसा ने बताया कि- ' घटना के बाद पुलिस को सूचना दी गई। पुलिस ने बॉडी को दंतेवाड़ा अस्पताल ले आने को कहा। चूंकि गांव में किसी के पास कोई गाड़ी नहीं थी और गाड़ी किराए पर लेने के पैसे नहीं थे। ऐसे में बांस काटकर बहंगी बनाकर शव को पैदल ही अस्पताल ले जाना पड़ा।’ वहीं दंतेवाड़ा सिटी कोतवाली थाने के टीआई राजेश ने कहा कि घटना की जानकारी नहीं दी गई थी। ग्रामीण बॉडी लेकर सीधे अस्पताल पहुंच गए। इसके बाद मामला दर्ज कराया।
नक्सलियों की होती है साजिश
दंतेवाड़ा SP कमलोचन कश्यप ने बताया कि उन्हें इस घटना की जानकारी नहीं है. जहां तक बॉडी खुद ले आने की बात है तो नक्सल प्रभावित इलाकों में कई बार पुलिस को फंसाने के लिए भी ऐसे फोन आते हैं. कई बार फोन पर बताई गई ऐसी घटनाएं झूठी निकली हैं। ऐसे में प्रीकॉशन के तौर पर ग्रामीणों से शव खुद ले आने की बात की जाती है.