क्या आपको भी लगता है कि हर चुनाव में कोई न कोई नई सर्वे कंपनी चर्चा में आ जाती है और चुनाव के बाद ग़ायब हो जाती है? इस बात की पुष्टि के लिए मेरे पास तथ्य तो नहीं है मगर गूगलागमन किया तो कई कंपनियों के नाम मिले जिन्होंने कभी टीवी तो कभी अख़बार के साथ गठजोड़ कर सर्वे किया है। कई बार टीवी और अख़बार के सर्वे के नाम मिलते हैं मगर किसने कराया इसका पता नहीं चलता है। राज्यों के हिसाब से देखने पर सर्वे कराने वाली कंपनियों के नाम अलग अलग मिलते हैं। कुछ कंपनियों के नाम हर चुनाव में मिलते हैं। सर्वे कंपनियां चैनल या अख़बार से अपना गठजोड़ बदलती रहती हैं। चैनल भी सर्वे कंपनियों को बदलते रहते हैं। राजनीति क दल भी अपना सर्वे कराते हैं। आम आदमी पार्टी ने तो अपना सर्वे कराकर आटो पर चिपका दिया था। अभी तक परंपरा यह थी कि राजनीतिक दल अपना सर्वे कराते थे,मगर ख़ुद से मीडिया को नहीं बताते थे। दावा नहीं करते थे। आप ने पहली बार अपने सर्वे को मीडिया के सर्वे से ज़्यादा विश्वसनीय बताया और उसी पर भरोसा किया। अभी तक कोई भी दल ऐसा नहीं कर सका है। ख़ुफिया विभाग के सर्वे के क्या कहने। कौन करता है, कैसे करता है, पता नहीं चलता। मुझे व्यक्तिगत रूप से सर्वे पर बहुत भरोसा नहीं होता है। वैसे मैंने भी सर्वे पर कार्यक्रम पेश किये हैं। मेरी समझ से बाहर की चीज़ है। पता नहीं कब कौन सा सर्वे सही हो जाता है और कौन सा ग़लत। एक ही राज्य में कोई दौ सौ सीट देता है तो कोई पचास। मुमकिन है इनके ज़रिये प्रोपेगैंडा होता हो। होता ही है। टीआरपी वाले दावा करते हैं कि लोगों की दिलचस्पी सर्वे में होती है। सर्वे से चुनाव का सारा उत्साह और उसकी प्रक्रिया सतही हो जाती है। सर्वे का एक उद्देश्य तो नज़र आता है। इसके ज़रिये मुद्दों को ग़ायब कर दिया जाता है। चुनाव चकल्लस में बदल जाता है। कुछ काम नहीं था तो मैंने गूगल किया और 2014 के लोकसभा, 2015-16 के विधानसभा चुनावों और पंजाब चुनावों के संदर्भ में पता किया कितनी सर्वे कंपनियों के नाम वजूद मे आए हैं। इन नामों में 2004 के साल की कुछ कंपनियों के नाम मिले,उन्हें भी इस सूची में जोड़ दिया है। आप भी मेरी मदद कर सकते हैं। कमेंट करेंगे तो मूल सूची में जोड़ दूंगा।
1)C-voter
2)Hansa research ( WITH NDTV, WITH THE WEEK)
3)AC NIELSON
4)LOKNITI-CSDS
5)ORG-MARG
6)CIECERO
7)THE WEEK-IMRB
8)TODAY’S CHANAKYA
9)IBN7-DATA MINERIA
10)ZEE -TALIM RESEARCH FOUNDATION (TRF)
11)CNX-NEWSX
12)VDP ASSOCIATE
13)INDIA TODAY-AXIS
14)PACE MEDIA
15)MY MANDATE AND PRATISTHA RESEARCH
16)KAUTILYA VOTE INTELLIGENCE
17)PRUDENT MEDIA
18)24 GHANTA-GFK MODE
19)THANTHI TV- KRISH INFOMEDIA
20)AVC
21)SAHARA-DRS (2004 LOK SABHA)
22)FRONTLINE-CMS
23)PIONEER-RDI
24)INDIA TODAY-INSIGHT
25)OUTLOOK -MDRA
26) AXIS-APM POLL
2004 के ओपिनियन पोल्स पर हिन्दू अख़बार में रिपोर्ट है। इसमें सर्वे कंपनियों के नाम नहीं है। पांच नाम हैं। जो इस प्रकार हैं- NDTV-INDIAN EXPRESS, INDIA TODAY-DAINIK BHASKAR, THE WEEK, OUTLOOK AND STAR, धीरे धीरे ओपिनियन पोल भी चुनावी गठबंधन की तरह पेश किये जाने लगे। चैनल के साथ अख़बार और सर्वे कंपनी का भी नाम जोड़ा जाने लगा। ECONOMIC AND POLITICAL WEEKLY EPW ने अप्रैल 2014 में ओपिनियन पोल की यात्रा पर एक शोध लेख छापा है। जिससे पता चलता है कि 1960 के दशक में CSDS ने अकादमिक अध्ययन के तौर पर सर्वे करना शुरू किया। बाद में मास मीडिया में आने लगा। पहले इंडिया टुडे, फ्रंटलाइन, वीक जैसी पत्रिकाओं में सर्वे छपा करते थे। बाद में प्राइवेट टीवी के आने के बाद इनका दायरा बड़ा होने लगा। 1996 में दूरदर्शन ने पहली बार एग्जिट पोल का प्रसारण किया था। शुरूआती वर्षों में सैंपल साइज़ कम होते थे। धीरे धीरे इनका आकार साठ हज़ार से लेकर एक लाख तक पहुंचने लगा। इसके बाद भी इनकी विश्वसनीयता तुक्केबाज़ी पर ही आधारित लगती है। आपने देखा होगा कि कई कंपनियों के नाम अब सुनाई नहीं देता है।