नई दिल्ली: 12 साल पहले हुए दिल्ली में सीरियल ब्लास्ट केस में पटियाला हाउस कोर्ट ने अपना फ़ैसला सुनाते हुए तीन आरोपियों में से दो को बरी करते हुए, एक को दोषी क़रार दिया है. इस मामले में मुख्य आरोपी तारिक़ अहमद डार को दोषी मानते हुए 10 साल जेल की सज़ा सुनाई गई है. वहीं, मोहम्मद हुसैन फ़ाजिली और मोहम्मद रफ़ीक़ शाह को बरी कर दिया गया है. अक्टूबर 2005 में हुए इस सीरियल ब्लास्ट में कोर्ट ने तारिक अहमद डार को गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल रहने की वजह से सेक्शन 38 और 39 के तहत 10 साल की सजा सुनाई, लेकिन तारिक इस सजा से अधिक समय तक जेल में पहले ही रह चुका है. ऐसे में उसकी सजा पूरी होने की वजह से उसे आज रिहा कर दिया जाएगा.
दो आरोपियों को पर्याप्त सबूतों के अभाव में कोर्ट को बरी करना पड़ा. दिल्ली पुलिस मो. हुसैन फ़ाज़िली और मो. रफ़ीक़ शाह पर लगाए अपने आरोप साबित करने मे नाकामयाब रही. पटियाला हाउस कोर्ट का ये फैसला दिल्ली पुलिस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. दिवाली से एक दिन पहले हुए इन धमाकों में 60 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 200 घायल हुए थे.
ब्लास्ट में लश्कर-ए-तोएबा का हाथ
दिल्ली के सरोजनी नगर, पहाड़गंज और गोविंदपुरी में हुए इन धमाकों के पीछे आतंकी संगठन लश्कर-ए-तोएबा का हाथ माना गया. कोर्ट ने तारिक अहमद डार, मोहम्मद हुसैन फाजिली और मोहम्मद रफीक शाह पर देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने, आपराधिक साजिश रचने, हत्या, हत्या के प्रयास और हथियार जुटाने के आरोप तय किए थे.
आरोपों को साबित करने में असफल पुलिस
दिल्ली पुलिस ने तारिक के अलावा फ़ाज़िली और शाह पर ये आरोपी साबित करने में असफल रही. इस ब्लास्ट में पहाड़गंज में 9 लोगों की मौत हुई, जबकि 60 लोग घायल हुए. वहीं गोविंदपुरी में चार लोग घायल हुए थे. भीड़भाड़ वाले सरोजनी नगर में धमाके की वजह से 50 लोगों की मौत हो गई थी और करीब 130 लोग घायल हुए थे.