नई दिल्लीः मोदी सरकार के राज में घाटे से उबरने की कौन कहे रेलवे की माली हालत और खराब होती नजर आ रही। ताजा आंकड़ों के मुताबिक भारतीय रेलवे को छह महीने के भीतर चार हजार करोड़ रुपये राजस्व का नुकसान हुआ है। जिससे मंत्रालय के अफसरों के होश उड़ गए हैं। कहा जा रहा है कि इस भारी घाटे की भरपाई के लिए रेलवे पैसेंजर किराये के सिस्टम में फेरबदल कर सकता है। घाटे का यह हाल तब है जबकि कुछ खास ट्रेनों में सर्ज प्राइजिंग लागू है। इसके लागू होने के बाद से भी आय में कमी जारी है। यह नुकसान एक अप्रैल से 10 अक्टूबर के बीच है।
कैसे हुआ घाटा
पिछले वर्ष एक अप्रैल से 10 अक्टूबर के बीच भारतीय रेलवे की कुल आमदनी 84 हजार 747 करोड़ रुपये रही। मगर इस साल इसी अवधि में आय कम हो कर 80 हजार 893 करोड़ रह गई। मतलब महज छह महीने में रेलवे को तकरीबन 3853 करोड़ की चपत लगी। खास बात है कि एक अक्टूबर से दस अक्टूबर के बीच महज दस दिन में ही सवा दो करोड़ रुपये का घाटा हुआ।
नए वेतनमान का बौझ कैसे ढोएगी रेलवे
इसी वर्ष से भारतीय रेलवे ने कर्मचारियों को नए वेतनमान की घोषणा की है। ऐसे में जिस तरह से सात महीने के भीतर चार हजार करोड़ रुपये का घाटा हुआ है उससे मंत्रालय का परेशान होना लाजिमी है।