नई दिल्ली : देश के रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर द्वारा अपने गृह राज्य गोवा के सीएम बनने के बाद रक्षा मंत्रालय की कई अहम परियोजनाएं अधर में लटक सकती हैं। रक्षा मंत्रालय के कई अधिकारियों का कहना है कि पर्रिकर द्वारा ऐसे समय पर रक्षा मंत्रालय छोड़ने से कामकाज पर गहरा असर पड़ सकता है। उनका कहना है कि रक्षा मंत्रालय का पद अचानक छोड़ देने से उनके द्वारा शरू किये गए कई इनिशिएटिव प्रभावित होंगे।
इनमे सेनाओं के आधुनिकीकरण, सैन्य साजो-सामान के स्वदेशीकरण, सातवें वेतन आयोग के हिसाब से वेतन और पेंशन पुनर्निरीक्षण, सैन्य-असैन्य संबंध किआ मामले शामिल हैं। रक्षा मंत्रालय में निरंतरता की लगातार जरूरत होती है और कामों पर निगरानी की आवश्यकता होती है।
ऐसे समय में जब परियोजाएं एक लंबे समयावधि में ख़त्म होने वाली हो तब बिना रक्षा मंत्री के इनमे देरी होना लाज़मी है। मनोहर पर्रिकर के रक्षा मंत्री बनने के बाद ही कई महत्वपूर्ण परियोजाएं जो कई समय से लटकी पड़ी थी वह आगे बढ़ पायी थी।
फिलहाल रक्षा मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार वित्त मंत्री अरुण जेटली के पास है जिनके पास पहले से ही कई काम है। जीएसटी को लेकर ही उनकी व्यस्ततता देखी जा सकती है। अब इस बात पर बहुत कुछ निर्भर करेगा कि देश का अगला पूर्णकालिक रक्षा मंत्री कब बनेगा।