प्रेम उम्र का मोहताज नही
मैने कई सदिया गुजारी है
प्रेम तो शाश्वत है जो जिंदा है
मेरे और तुम्हारे भीतर।
मैने जिंदगी की हर नज्म
लिख दी तुम्हारे खातिर
मेरी अनुभूति मेरे अहसास
कभी दो शब्द तुम पढ़ लेना।
मेरी नज्मों में मुहब्बत का
हर लफ्ज में तुम्हें ही पाया है।
प्रेम में मैं सबकुछ हार कर
बस तुम्हें ही तो पाया है
उम्र की ढ़लान हो जिंदगी की शुरुवात
जब मिली तो बस तुम्हें चाहा है।