मैं मीरा की तरह
तुम्हें आराध्य नही बना सकती
क्योंकि मैं उपासक नही कृष्ण।
मैं रुक्मिणी नही हूँ कृष्ण
मैं तुम्हें शरीर से चाहूँ
मैं तुम्हें सिर्फ आत्मा से चाहती हूँ
मुझे सिर्फ राधा बनना है ,और
तुम्हें कृष्ण के रूप में चाहती हूँ,
तुम्हें कृष्ण ही देखना चाहती हूँ
जो सारे जग का रखवाला है
प्रेम नही प्रेम की आत्मा है