कितना मुश्किल है हर कोई हिसाब लिखता है
कोई ऐसा नही जो सच बात लिखता है
झूठ के आईने हैं ,किताब भी झूठ की
सच की परछाइयों में झूठ की बात रखता है
रोज सूरज उतरता है छत पर मेरे
रोज चाँद भी आकर उससे मिलता है
लोग कहते हैं मिलते नही किनारे कभी
मुझे तो लगता है ,धरती अम्बर से रोज मिलता है।