अरे ! ये क्या हुआ?
इंद्रधनुष का रंग आज
मटमैला सा क्यूँ है?
क्या प्रेम का चटक लाल
अब घूसर रंग का हो गया है?
इस पर उदासियों का सबब छाया है
अरे क्यूँ चले आते हो छलने?
प्रेम की पीत रंग में
बेरुखी के रंग भरने
मैने कहाँ था मुझे चमकीले रंग भाते हैं
फिर ये उदासियों का रंग क्यों आया ?
सात रंग की दुनिया में ये उदास रंग
इनको भी किसी ने तोड़ा है
लगता है प्रेम की बेवफाई ने
इनको जकड़ा है
तभी तो उदास रंग
अलग है सबसे अलग।