नई दिल्ली: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जल्द ही पंजाब विश्वविद्यालय में छात्रों को अर्थशास्त्र पढ़ाते हुए नजर आएंगे। कुछ समय पहले मनमोहन सिंह ने संसदीय समिति से सवाल किया था कि क्या शिक्षण का काम लाभ का पद, तो नहीं माना जाता है। पूर्व प्रधानमंत्री जानना चाहते थे कि उनके आर्थिक लाभ वाले शिक्षक के पद को धारण करने से कहीं सासंद के पद से उन्हें इस्तीफा तो नहीं देना होगा। इस पर संबंधित संसदीय समिति ने गुरुवार को फैसला किया कि सांसद रहते हुए अस्थायी शिक्षण से संबंधित कार्यों को लाभ के पद के दायरे में नहीं माना जा सकता।
कितने पैसे मिलेंगे
बता दें कि विजिटिंग प्रोफेसर को दिन के एक लेक्चर के 5000 हजार रुपये दिए जाते हैं। इसके अलावा आने जाने का एयर टिकट व ठहरने के लिए गेस्ट हाउस है। यूनिवर्सिटी के इस जवाब के बाद इसे लाभ का पद नहीं माना। वैसे मनमोहन सिंह को नवंबर में लेक्चर देने के लिए आमंत्रित किया जाना था, लेकिन क्लीयरेंस न मिलने की वजह से इसे टाल दिया गया था।
पहले यहां प्रोफेसर थे पूर्व पीएम
पूर्व पीएम सिंह ने पंजाब यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में 1954 में एमए किया था और 1957 में बतौर प्रवक्ता अपने करियर की शुरुआत की थी। वह 1963 में यहीं प्रोफेसर बने। आरबीआई के गवर्नर और दस साल तक देश के प्रधानमंत्री बनने के बाद अब वह फिर से पंजाब यूनिवर्सिटी में छात्रों को पढाएंगे।