नई दिल्ली : अरुणाचल प्रदेश के पूर्व सीएम कलिखो पुल की आत्महत्या के मामले में 8 महीने गुजर जाने के बाद भी कोई बड़ा कदम नही उठाया जा सका है। कलिखो पुल की पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर इस मामले में एफआईआर दर्ज करने की अपील की थी लेकिन अब वह याचिका वापस ले ली है। इस मामले में सबसे बड़ा सवाल अब यह उठ रहा है कि केंद्र सरकार या प्रधानमंत्री मोदी इस मामले में हस्तक्षेप क्यों नही कर रहे हैं।
बिना सबूत के न्याय पालिका के लोगों की छवि ख़राब नही करना चाहती सरकार
गौरतलब है कि इस मामले में पहले भी कई लॉ अधिकारियों के नाम आये थे। सरकार इस मामले में जाँच के आदेश इसलिए भी नही दे रही है क्योंकि अभी ऐसे पर्याप्त सबूत नही मिल पाए हैं जिनके आधार पर न्यायपालिका के सदस्यों के खिलाफ जाँच के आदेश दिए जा सकें। कलिखो पुल की पत्नी को अभी भी इस बात की आशा है कि प्रधाननंत्री मोदी इस मामले में हस्तक्षेप करेंगे। लेकिन सरकार को यह डर भी है कि न्यायपालिका में बैठे लोगों की छवि ख़राब करना उनके पक्ष में नही होगा।
गौरतलब है कि कलिखो पुल ने अपने 60 पन्नो के 'मेरे विचार' सुसाइड नोट में कई सीनियर जजों के नाम लिए हैं। इनमे से दो रिटायर हो चुके हैं, जबकि दो अभी सेवा में हैं। सुसाइड नोट के मुताबिक, अरुणाचल प्रदेश में चल रहे वित्तीय गड़बड़ी के मामलों में फैसले को बदलने के एवज में इन अधिकारियों ने 64 करोड़ रुपये की घूस ली थी।
सुसाइड नोट के मुताबिक, राज्य में राष्ट्रपति शासन को लेकर कलिखो पुल और उनके सहयोगियों से संपर्क किया गया और फैसला पुल के पक्ष में रखने के लिए करोड़ों की घूस मांगी गई थी। साठ पेज के सुसाइड नोट में पुल ने बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं।
पुल ने लिखा है, ''गुवाहाटी हाईकोर्ट ने Xxxx (वरिष्ठ मंत्री) के खिलाफ की गई सुनवाई में Xxxx को दोषी ठहराते हुए सीबीआई की जांच के आदेश दिए थे, लेकिन उसी केस में Xxxxxxx X X Xxxxx ने 28 करोड़ रुपये की घूस देकर स्टे लिया और आज भी खुलेआम घूम रहे हैं।