चंडीगड़ : सोशल मुद्दों को अपने गानों के जरिए समाज के सामने रखने वाले गुरदास मान एक बार फिर चर्चा में हैं. उनके वीरवार शाम को पंजाब के मुद्दों को लेकर जारी हुए गाने 'केहड़ा केहड़ा दुख दस्सां मैं पंजाब दा, फुल मुरझाया पेया है पंजाब दा, ने सोशल मीडिया पर जबरदस्त बहस छेड़ दी है. ज्यादातर ने मान की प्रशंसा की है कि उन्होंने पंजाब की सच्ची तस्वीर पेश की.
इन मुद्दों को छुआ मान ने ?
गुरदासमान ने शहीद भगत सिंह के बचपन में देश को आजाद करवाने के लिए सपने को आधार बनाकर गाना तैयार किया है. इसमें उन्होंने नशे में गल रही जवानी, कीटनाशक जहरों वाली खेती और प्रदूषित हो रहे पीने वाले पानी को बड़े मार्मिक तरीके से बयान किया है. यह गाना पंजाब में विधानसभा चुनाव के ठीक एक हफ्ते बाद रिलीज हुआ है. लोगों ने कहा- वे इन सभी मुद्दों से निजात पाना चाहते हैं.
क्या अकालियों से डर गए थे मान
कुछ लोगों का कहना है कि मान ने गाने को रिलीज करने का समय चुनाव से ठीक बाद क्यों चुना ? जबकि यह पहले चुना जाना चाहिए था ताकि लोग इसे देखकर कोई फैसला करते ? बलजीत सिंह ने अपनी वॉल पर लिखा है क्या मान अकालियों से डर गए ? बलजिंदर सिंह ने कहा, तीआं तो बाद तूंबा की फूकणै ? उन्होंने कहा, यह गाना यदि एक महीना पहले आता तो लोग इन चुनाव में अपना कोई इरादा तय करते. इसके अलावा गुरदास मान द्वारा डेरों का मुद्दा उठाए जाने की भी आलोचना की गई. कहा गया कि उन्होंने ऐसा इसलिए नहीं किया क्योंकि वह खुद नकोदर में डेरे पर जाते हैं.
जब आतंकवाद में पंजाब झुलस रहा था तो चुप क्यों थे मान
मान के इस गाने पर गुरप्रीत सिंह सहोता ने अपनी फेसबुक वॉल पर कमेंट किया है. कि जब पंजाब में आतंकवाद था और युवाओं को कोस कोस कर मारा जा रहा था. रोज चिताएं जल रही थीं. मरने वाले वही थे जो पंजाब के भविष्य को भांप गए थे और अपने खून बहाकर इस त्रासदी को रोकना चाहते थे तब आपने इन मुद्दों को क्यों नहीं उठाया मान साहिब.