लखनऊ : पिछले तीस सालों से यूपी में पांव जमाने की जगह ढूंढ रही कांग्रेस पार्टी को अब सच्चे और वफादार साथियों की जरुरत नहीं है. जिसके चलते सूबे में गर्दिश के दिन काट रही पार्टी को सुझाव और जीजान लगाकर फिर से खड़ा करने की जुगत कर रहे लोगों की बोलती बंद की जा रही है. बताया जाता है कि लंबे समय तक यूपी की सत्ता पर काबिज रही कांग्रेस के दुर्दिन जब भी छंटने को दिखाई देते हैं तो पार्टी का एक बड़ा काकस एकजुट होकर या तो उस सच्चे साथी की पार्टी से छुट्टी करा देता है या फिर उसे हाईकमान से नोटिस जारी कराकर उसकी बोलती बंद करा देता है. इसी का नतीजा है कि राज्य के धरातल पर पार्टी मजबूत होने की बजाय दिन पर दिन खिसकती जा रही है.
धनपशुओं पर सवाल उठाना महंगा पड़ा
सूत्रों के मुताबिक अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य और मनरेगा घोटाले का खुलासा करने वाले पार्टी के सच्चे भक्त संजय दीक्षित ने अपनी फेसबुक के जरिये जब संगठन को मजबूत करने के लिए अपने कुछ विचार अपने साथियों के सामने रखे तो उन्हें कारण बताओं नोटिस पार्टी की मठाधीशी करने वाले नेताओं ने दिलवा दी. बताया जाता है कि इन नेताओं की पहुँच यहां से लेकर दिल्ली तक इतनी लंबी है कि बड़े-बड़ों की ये नेता मिलकर छुट्टी करा देते हैं. और तो और इन नेताओं को कभी धन का आभाव इसलिए नहीं होता है क्योंकि ये नेता हमेशा धनपशु अपने साथ रखते हैं. बस यहीं पर संजय दीक्षित से चूक हो गयी. दसरसल जैसे ही संजय ने इन नेताओं की नब्ज पकड़ी और उसी पर चोट करनी शुरू की, तो सूबे की राजधानी से लेकर देश की राजधानी दिल्ली तक से संजय की आवाज बंद कराने का विरोध शुरू हो गया.
संजय दीक्षित ने क्या विचार रखे थे सोशल मीडिया पर ?
फिलहाल एक हफ्ते ही संजय ने कांग्रेस को यूपी में बचाने के लिए जो विचार अपनी फेसबुक पर लिखे थे. उसे समर्थन मिलते देख पार्टी का एक बड़ा काकस उनकी खिलाफत पर उत्तर आया और उसने अपनी लंबी पहुँच के बल पर उन्हें नोटिस भेजवा दी. कांग्रेस से मिली कारण बताओ नोटिस में उनसे यह पूछा गया है कि किसके कहने पर वह पार्टी की बगावत पर उत्तर आये हैं. लेकिन हकीकत यह है कि संजय ने अपनी फेसबुक पर ये विचार प्रकट किये थे कि अगर पार्टी के पास धन का अभाव है तो पार्टी में धनपशुओं को बाहर से लाकर बड़ा पद देने कि बजाय अगर एक जिले से 200 सच्चे कांग्रेसी जोड़े जाएँ और उनसे प्रतिमाह 100 - 100 रुपये चंदा लेकर पार्टी चलाने कि कमान उनके हाथ में सौंपी जाये तो पार्टी यूपी में मजबूत ही नहीं फिर से कड़ी होकर सत्ता पर काबिज की जा सकती है. बहरहाल पार्टी के बड़े नेताओं को उनकी यह बात बुरी लगी और अब उन्हें कारण बताओ नोटिस थम दिया गया है. जिसको लेकर पार्टी के सच्चे कार्यकर्ताओं में आक्रोश व्याप्त है.