"अयोध्या - राम"टैम्पल "
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मित्र देश का साथी,
था वह बोल रहा ?
है हमें बनाने को ,
निर्णय मन से लिया |
शिव मंदिर यहाँ पर,
टैंपल राम अयोध्या ||
अजब दीवाना जीवन,
लौटकर आए न आए,
सागर सा यह हृदय,
फूल मरुस्थल खिलाए,
स्वप्न टीसते रहते,
टैंपल राम अयोध्या ||
अच्छे दिन तो आएं !
नई फसल धरतीपर,
फूल जंगल- खिलाएं,
सबकुछ उसकी कृपा,
सृजन संघर्ष ऐसा करें,
टैंपल राम अयोध्या||
एक सी हो साधना,
कभी थके न आराधना,
काल इतिहास मेरा ,
उजाले अँधेरे में लाये,
ज्ञान की भाषा बने,
टैंपल राम अयोध्या||
मुस्कलों से जूझती,
राजनीतिक गंध लिए,
न्याय के दरवाजे पर,
बड़े बड़े ताले हैं पड़े !
संविधान लगते मूक,
टैंपल राम अयोध्या||
रोटी के टुकड़े छोड़,
सोने- चांदी खाने को,
बाग़ - बगीचे लुटेरे,
बौर आम में उलझे,
यादों के फूल महके,
टैंपल राम अयोध्या||
मौन साधना अचर्चित,
दर्द थिरकती लय लेकर,
हर बादल पानी बर्षाये,
सागर का संयम लेकर,
लिख रहे तूफान 'मंगल,
टैंपल राम अयोध्या||'
- सुखमंगल सिंह ,वाराणसी