छंद - द्विगुणित पदपादाकुलक चौपाई (राधेश्यामी) गीत, शिल्प विधान मात्रा भार - 16 , 16 = 32 आरम्भ में गुरु और अंत में 2 गुरु "राधेश्यामी गीत" अब मान और सम्मान बेच, मानव बन रहा निराला है।हर मुख पर खिलती गाली है, मन मोर हुआ मतवाला है।।किससे कहना किसको कहना, मानो यह गंदा नाला है।सुनने वाली भल जनता है, कह