रात झारखंड के मुशायरे का एक लम्हा
आपका ये जो सूबा है, आपका ये जो सूबा है,
मज़लूमों के ऑंसू, मज़लूमों के ख़ून में डूबा है !
नफ़रत वाली भीड खडी है आपके हर चौराहों पर,
दिल्ली भी चुपचाप है अपने ज़ालिम तानाशाहों पर !
पत्थरबाज़ी होती है गिरजाघर पर दरगाहों पर,
आम आदमी मार दिया जाता है बस अफ़वाहों पर !
हिंदू मुस्लिम में झगडे ! कातिल का ये मंसूबा है !
आपका जो ये सूबा है.............!
रघुवर दास जी आप ज़रा रघु की मर्यादा याद करो,
राज धर्म और रामराज को और ज़ियादा याद करो !
संविधान की गरिमा को और मर्यादा को भूल गये,
इस अवाम से किया गया अपना हर वादा याद करो !!
झारखंड का बच्चा बच्चा इस शासन से ऊबा है !
आपका जो ये सूबा है................!
मज़लूमों के ऑंसू, मज़लूमों के ख़ून में डूबा है