नई दिल्लीः राहुल गांधी के प्रशंसकों के लिए बुरी खबर है। पार्टी उन्हें 2019 में भी मोदी के मुकाबले प्रधानमंत्री उम्मीदवार घोषित करने से हिचक रही है। वजह कि पार्टी को इसमें जोखिम नजर आ रहा है। कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व का मानना है कि मोदी की लोकप्रियता के मुकाबले राहुल गांधी की लोकप्रियता काफी कम है। गांधी सरनेम हटा दिया जाए तो राहुल अब तक खुद को दमदार नेता के तौर पर भी साबित नहीं कर पाए हैं। यही वजह है कि आम जनता का एक वर्ग जो मोदी और भाजपा को नापसंद करता है, वह भी राहुल गांधी को मोदी का विकल्प नहीं मान पा रहा।
पुराने नेताओं को ही आगे कर चुनाव लड़ेगी कांग्रेस
कांग्रेस के एक बड़े नेता इंडिया संवाद से बातचीत में खुलकर तो इस बारे में कुछ नहीं कहते मगर पार्टी के संभावित प्लान की ओर इशारा जरूर करते हैं। कहते हैं कि पार्टी के शीर्ष नेताओं की कुछ दिन पहले सोनिया गांधी के साथ मंत्रणा हुई। कहा गया कि 2019 में मोदी के मुकाबले के लिए ऊर्जावान मगर बहुत अनुभवी और मंझे नेतृत्व की दरकार है। राहुल गांधी ऊर्जावान जरूर हैं मगर मोदी-शाह की जोड़ी के राजनीति क दांव-पेच के मामले में कमजोर पड़ जाते हैं। इतना ही नहीं राहुल पार्टी के कई अनुभवी नेताओं को भी एक साथ लेकर चल नहीं पा रहे। कभी किसी को बहुत तवज्जो दे देते हैं तो कभी किसी से जरा सा भी नाराजगी हुई तो मिलने के लिए भी समय नहीं देते। जिससे पार्टी के ही नेता हतोत्साहित रहते हैं।
उदाहरण के तौर पर जिस कैप्टन अमरिंदर सिंह को राहुल गांधी कभी तवज्जो नहीं देते थे, उन्हीं कैप्टन अमरिंदर ने पंजाब में पार्टी की नाक बचाने का काम किया। अतीत में ऐसी कई गलतियां राहुल कर चुके हैं। काम के नेताओं को साइडलाइन कर देते हैं और चापलूस नेताओं से घिरकर खुद और पार्टी का नुकसान कर लेते हैं। खास बात है कि उनके सलाहकार ही उनकी सियासी राह में बाधक बने हुए हैं। जब देश में कोई महत्वपूर्ण घटना होती है, जिस पर भाजपा की केंद्र सरकार को घेरा जा सकता है, तभी राहुल गांधी विदेश चले जाते हैं। उनके सलाहाकार यह नहीं बताते कि इस वक्त उनकी पार्टी को जरूरत है।
ऐसे में तय हुआ कि राहुल की बजाए अनुभवी नेता को आगे किया जाए।
कांग्रेस के ये नेता ढूंढेंगे नेतृत्व
कांग्रेस कीओर से हाल ही में कांग्रेस कम्युनिकेशन कमेटी बनाई गई है। इसमें पी चिदंबरम, आनंद शर्मा और गुलाम नबी आजाद जैसे वरिष्ठ और मंझे नेताओं को रखा गया है। सूत्र बताते हैं कि मिशन 2019 के लिए यह कमेटी पूरी प्लानिंग करेगी। यही नहीं मोदी के मुकाबले नेतृत्व तय करने का जिम्मा भी इस कमेटी को मिलेगा।
हालांकि सोनिया गांधी बिहार में जदयू और राजद के बीच चल रहे मतभेद को दूर कराने की कोशिश में हैं। कहा जा रहा है कि वे नीतीश कुमार को मीरा कुमार के समर्थन के लिए राजी कर रहीं हैं। साथ ही उन्हें 2019 के लिए महागठबंधन के नेत्व के लिए भी ऑफर देने के मूड में हैं। क्योंकि मोदी के मुकाबले विपक्ष में केवल नीतीश कुमार की ही भरोसेमंद छवि आम जनता के बीच है।
विपक्ष को लामबंद करने की तैयारी
कांग्रेस भी मान चुकी है कि भाजपा अपने इतिहास में इस वक्त सबसे मजबूत स्थिति में है। कांग्रेस 2019 में अकेले बूते हराने की स्थिति में नहीं है। क्योंकि मोदी की लहर अब भी जनता के सिर चढ़कर बोल रही है। इसकी एक वजह यह भी है कि विपक्ष अब तक कोई भरोसेमंद चेहरा जनता के सामने पेश नहीं कर सका है। ऐसे में सियासी समीकरणों और सीटों की गुणागणित से ही कांग्रेस 2019 में भाजपा को धूलचटाने की ताक में है। यह तभी संभव होगा, जब कांग्रेस की छतरी तले महागठबंधन खड़ा हो सके।