राजनीति एक अच्छी जनसेवा है। यह लोगो तक सड़क आवास,भोजन,शिक्षा व स्वास्थ सुविधाएँ मुहैया कराने का अपील व सहयोग प्रदान करती है। एक ईमानदार राजनीति करना अच्छा सेवा है। लेकिन जब राजनीति अपने पथ से भटक जाती है तो वह विनाश की ओर से जाती है। जब राजनीति करने वाले अपने हित के लिए अपना झोली भरने लगे तो वह राजनेता अपने मार्ग से भटक जाता है।जब राजनीतिक विवाद बढ़ने लगता है तो कई लोग इससे प्रभावित है।
देश की राजनीति मे यह विवाद तेजी से फैलने लगता है। संसद में बहस बाजी होती है।अन्य राज्यो के लोग भी जबरन इस दलदल मे फसते जाते है। बात छोटी-सी रहती है लेकिन हू हल्ला ज्यादा होता है। किस मुद्दे पर बहस हो रही है इस पर कम फोकस होता है ।
देश में दंगे फसाद होना शुरू हो जाता है। यदि धर्म के नाम पर राजनीतिक विवाद है तो देश के अन्य राज्यों में तोड़फोड़,पथराव आगजनी शुरु हो जाती है।लोग धर्म जाती के नाम पर मरने-मारने पर उतारु हो जाते हैं। चक्काजाम की नौबत आ जाती है। देश की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचती है।
राजनीतिक विवाद का समाजिकता पर गहरा असर होता है। सामाजिक स्तर मे राजनीति के प्रति द्वेष व घृणा की भावना पनपती है। लोग राजनीतिज्ञों से दूर रहते है। उन पर भरोसा नही कर पाता । यदि कोई घोटाला हुआ हो तो जनता इससे नाराज होती है। देश का सामाजिक ढांचा बदलने लगता है।एक समाज व्यक्ति से मिलकर बना है। एकता की कमी होती है लोग दल बद्लू हो जाते है। घर घर में राजनीति के नाम पर बटवारे होने शुरु हो जाते है। एक ही घर समाज में दो पार्टी के विचार धारा हो जाते हैं। ऐसे में दो लोग एक ही छत के नीचे कैसे रह सकते है।
राजनीतिक विवाद बढ़ने पर देश की आर्थिक स्थिति कमजोर हो जाती है। हमारे देश के पैसे को विदेशो में जमा कर इस मौके का फायदा राजनीतिक दल या व्यक्ति कर सकते है ।लोग विवाद की ओर ज्यादा ध्यान देते हैं। भीड़ बढाने के नाम पर लोगो को सभा स्थल पर ले जाते है। अपने कार्य को छोड़कर लोग पैसो के लालच में शामिल हो जाते हैं। कामकाज ठप्प हो जाता है किसान आन्दोलन से विवाद हो तो फसल तो प्रभावित होगा ही।अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर होता है ।उत्पादन व्यवस्था प्रभावित होती है। देश में खाद्यान्न संकट उत्पन्न हो सकता है।
विदेशो से संबंध टुट सकता है। जब राजनितिक विवाद होता है तो दुसरे राष्ट्र हमारी इस कमजोरी का फायदा उठा सकता है। आयात निर्यात को रोक सकता है। सीमा रेखा पर युद्घ छिड़ने की सम्भावना हो सकता है। दो देशो की संधि में बाधा उत्पन्न होती है।
देश का सविधान खिलौना मात्र रह जाता है ।जिससे हमारे देश में अराजकता उत्पन्न हो सकती है।
save tree🌲save earth🌏&save life❤