अंतर्राष्ट्रीय संगठनों द्वारा प्रत्येक वर्ष 1 मार्च को मनाया जाने वाला एक वार्षिक दिवस है । दिन का उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों में कानून के समक्ष और व्यवहार में समानता को बढ़ावा देना है। यह दिन पहली बार 1 मार्च 2014 को मनाया गया था, और उस वर्ष 27 फरवरी को बीजिंग में एक प्रमुख कार्यक्रम के साथ UNAIDS के कार्यकारी निदेशक मिशेल सिदीबे द्वारा लॉन्च किया गया था।
आज भी संसार के विभिन्न क्षेत्रों में भेदभाव है। जाति के नाम पर,धर्म के नाम पर,नस्ल रंगभेद के नाम पर भेदभाव जारी है कई प्रकार की हिंसक घटनाएं भी हुई है। महिलाओं को सरक्षण देना अत्याचार को रोकना ।एड्स पीड़ित व्यक्ति से लोग दुर हटते है या मन में उनके प्रति भेद बनाए रखते हैं। शून्य भेदभाव दिवस में ऐसे लोगो के लिए समानता का भाव रखना है।देखिए एड्स केवल यौन संबंध से ही नही फैलता बल्कि संक्रमित व्यक्ति के सुई का प्रयोग करने पर भी फैलता है। ऐसे में हमे उनके प्रति उदार भाव रखना है।
कई लोग कानून का उल्लंघन करते हैं या कई देशो में कड़ा कानून रहता है।ऐसे में उन देशो को सयुक्त राष्ट्र संघ के सभी देशो के कानून का अध्ययन कर सही व विधिवत कानून लागू करना चाहिए।
भारत देश एक जातिगत देश है यहाँ भेदभाव तो होते रहते हैं। लोग अपने एक क्षेत्र के लिए मरने मारने को तैयार हो जाते है। आज भी एक धर्म के अंतर्गत कई जातियाँ है और कई जातियो के उपजाति भी है। धर्म के नाम पर देश में लड़ाई तो होती हैं।एक धर्म वाले भी अपने जातियो के लिए लड़ रहे हैं और एक ही जाति वाले अपने उपजाति में बंटकर लड़ झगड़ रहे हैं।
आप सोचिए जब आप पैदा हुए थे तो आपका क्या नाम था। जन्म के पहले क्या जाति थी तुम्हारी कौन सा धर्म का लेवल आपके शरीर में लगा था।
1 मार्च को मनाए जाने वाले शून्य भेदभाव दिवस का महत्व लोगो को पता होना चाहिए।
Save tree🌲 save earth🌏 &save life ❤