हम नया वर्ष जनवरी माह को मनाते है।लेकिन हमारी मूल नया वर्ष चैत शुक्ल प्रतिपदा को होता है जो होली के बाद लगभग मार्च महीने में आता है। वैसे तो किसानों की सभी फसल पककर तैयार हो जाते है। एक साल में कितना अनाज उत्पादन हुआ कितना कितना खर्च हुआ एक किसान को अंदाजा हो जाता है।याने अब नए शिरे से अब पुन: तैयारियाँ करनी है जो एक साल तक चलेगा। हमारे पूर्वजों ने सोच समझकर चैत को साल का पहला वर्ष माना है।जितने भी गिले शिकवे रहे वो होली के रंग में घुल गए अब नए रूप में नई सोच के साथ जीवन जीना है।
नए साल की शुरुआत माँ दुर्गा के पुजा से प्रारंभ करते है। हम किसी भी काम या बिजनेस की शुरुआत एक मंगल कामना के साथ प्रारंभ करते है ताकि शुभ ही शुभ हो। जिस दिन भी हमारी आँख खुले वही हमारी प्रमाद के नष्ट होने की शुरुआत है। उसी एक किरण के सहारे उस घोर अन्धकार को मिटा सकते है जो जीवन को दुष्कर बनाता है। बड़े लंबे समय से अन्धकार में जी रहे है कब आँख खुलेगी पता नही इतना अन्धकार जन्मों-जन्मों से वही बेहोशी करते आए हैं।
इस प्रमाद इस नींद को पहचाने जरा अपने आप को पहचानने का प्रयास करे कहाँ हम फसे है उस पिंजड़े को अपना घर मान बैठे है जो कैद की कोठरी है जन्मों-जन्मों से रहकर उसे ही घर मान बैठे हैं। जैसे कुएं के मेढ्क को कुआँ ही पूरा संसार मालूम पड़ता है लेकिन कुएं के बाहर कितना बड़ा संसार है।ऐसे ही हम उस पिंजड़े की दरवाजे को सोने का मान बैठे है,पर हकीक़त कुछ और ही है।कोई ऊँगली पकड़ कर ले जाने वाला नही है तुम्ही को रास्ता चुनना और चलना है। तुम्हारा गुरु भी एक दुरी के बाद आपका हाथ छोड़ देगा चलना तो तुम्ही को है। नव वर्ष की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।
save tree🌲save earth🌏&save life❤