
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के आईएएस अफ़सर रमा रमण से ज्यादा ताकतवर अफ़सर इस देश में कहीं नहीं मिलेगा. मायावती सरकार से लेकर अखिलेश सरकार तक ये नॉएडा के चेयरमैन की कुर्सी पर जमे रहे और हाई कोर्ट भी इनका कुछ नहीं बिगाड़ सका. रमा रमण की अफ़सरशाही के नीचे यादव सिंह जैसे महाभ्रष्ट इंजीनियर के 900 करोड़ के घोटाले सीबीआई ने पकड़े लेकिन देश की कोई एजेंसी उसके बॉस रमण पर हाथ डालने की हिमाक़त नही कर सकी.
न कोर्ट-न सरकार, IAS को हटाना नामुमक़िन
सोने की जमीन कहे जाने वाले नॉएडा और ग्रेटर नॉएडा पर रमा रमण के वर्षों के एक छत्र राज की चर्चा जब सर्वत्र हुई तो हाई कोर्ट ने 1 जुलाई 2016 को रमण को खुद कुर्सी से बेदखल करवाया. उस वक़्त रमण, नॉएडा, ग्रेटर नॉएडा और यमुना एक्सप्रेस वे अथॉरिटी के प्रमुख थे. लेकिन इस आईएएस अफसर की ताकत का अंदाज आप इस बात से लगा सकते हैं कि अदालत के आदेश पर कुर्सी से हटाने के बाद भी रमा रमण को यूपी सरकार ने कुछ दिन पहले फिर कुर्सी पर बैठा दिया.
कॉरपोरेट लॉबी का नुमाईंदा है रमा रमण
यूपी काडर के ईमानदार छवि वाले अफसर एसपी सिंह बताते हैं कि रमा रमण, सरकार नही कॉरपोरेट लॉबी के नुमाइंदे है इसलिए देश कि कोई व्यवस्था इनका बाल बांका नही कर सकती. " अरबों रूपए की जमीन अगर कोई कॉरपोरेट को लुटाने को तत्पर हो तो ऐसे अफसर को भला कौन हटा सकता है," एसपी सिंह ने इंडिया संवाद को बताया. 1982 बैच के अफसर एसपी सिंह नॉएडा के बेताज़ बादशाह कहें जाने वाले रमा रमण से दो बैच सीनियर है. एस पी सिंह का आरोप है कि रमा रमण की सरपरस्ती में नोएडा की महंगी ज़मीनो का 'लैंड यूज' बदलकर उन्हें बड़े बड़े बिल्डरों को दिया गया.जिन ज़मीनो पर इंडस्ट्रियल यूनिट लगने चाहिए थे वहाँ बिल्डर आज रिहाइशी मकान बनाने के बहाने कब्ज़ा जमाए बैठे हैं.
ख़ौफ़ का दूसरा नाम रमा रमण
इंडिया संवाद ने रमा रमण की दूसरी बार नॉएडा में नियुक्ति पर राज्य सरकार का मन्तव्य जानना चाहा तो मुख्य सचिव कार्यालय में कोई बात करने को तैयार नहीं था. हालाँकि सूचना विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि रमा रमण क्षमतावान अधिकारी हैं और लम्बित फाइलों का तेज़ी से निस्तारण करते हैं. उनपर भ्रष्टाचार का एक भी आरोप फाइल पर नहीं है. सच तो ये है कि रमा रमण नॉएडा के चार्ज की बदौलत इतने ताकतवर हो चुके हैं कि किसी अफसर या अधिनस्थ अधिकारी की उनके बारे में ज़ुबान खोलने की हिम्मत नही होती है.
रमण के पास है सफलता की कुंजी
उधर आईएएस अफ़सर एसपी सिंह का कहना था कि ग्रेटर नॉएडा 5000 करोड़ के घाटे में है और वित्तीय संस्थानों का कर्ज़ा बढ़ता जा रहा है. इसी तरह नॉएडा में पिछले कई वर्षों से औद्योगिक निवेश नहीं हुआ है. नॉएडा का मक़सद इंडस्ट्री को प्रोत्साहन देना था लेकिन रमा रमण जैसों ने नॉएडा को बिल्डरों और प्रोपर्टी डीलरों का गढ़ बना दिया है. एसपी सिंह चाहते हैं कि पिछले दस साल में नॉएडा और ग्रेटर नॉएडा में जो कुछ हुआ है उसका बृहद ऑडिट होना चाहिए और जनता के सामने पूरे सच को रखना चाहिए. लेकिन रमण के अखंड राम राज्य के आगे विधायक, अधिकारी, मंत्री और यहाँ तक कि विपक्ष मौन धारण किये हुए. दरअसल रमण किसी भी प्रभावशाली को वश में करना जानते हैं. वश में करने का यही मंत्र अब तक रमण के सफलता की कुंजी रही है।