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गृहणी का रविवार

10 जनवरी 2022

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रचनाएँ
हर कुछ हीं नया नया..
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नई सोच क़ी समझ, कर्तव्य..आदि इस रचना में पाये..और डूब जाये...खूबसूरत ख्यालों में।
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कॉलेज के दिन सम्भले के दिन..

10 जनवरी 2022
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🤗🌺🤗🌺🤗🌺🤗🌺🤗🌺🤗🌺🤗🌺🤗 कालेज के दिन होतें हैं..सम्भलने के दिन.. रोक टोक से थोड़ी आजादी माँ पापा से..हो या दादा दादी.. कॉलेज के वो दिन... सुनहरे सपनों के दिन.. जिन्होंने अपने सपने को हैं..

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गृहणी का रविवार

10 जनवरी 2022
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🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺रविवार सबों के लिये जरूर हीं होंगे छुट्टी का दिन..पर यह तो हैं एक गृहणी के लिये और ज्यादा हीं हैं काम के दिनरोजाना के आपाधापी और नियत समय पर काम हो के चक्कर मेंबहुत सारे

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गृहणी का रविवार

10 जनवरी 2022
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🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺रविवार सबों के लिये जरूर हीं होंगे छुट्टी का दिन..पर यह तो हैं एक गृहणी के लिये और ज्यादा हीं हैं काम के दिनरोजाना के आपाधापी और नियत समय पर काम हो के चक्कर मेंबहुत सारे

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भास्कर के दिन

10 जनवरी 2022
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🌿🍃🌿🍃🌿🍃🌿🍃🌿🍃🌿🍃🌿🍃🌿रविवार भगवान भास्कर के होतें..दिन..इस दिन का करें इंतजार हर कोई दिन गिन गिन..हर पुण्यात्मा चढ़ाये जल सूर्य को इस शुभ दिन..यें रविवार भगवान भास्कर के होतें दिन..हर बच्चे झू

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जतन से..

10 जनवरी 2022
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🙂☘️🙂☘️🙂☘️🙂☘️🙂☘️🙂☘️🙂☘️🙂 रविवार का इन्जार करते हैं सब कितने जतन से... यें तो होतें हैं सभी के ही..... फंडे तो..जरूर से... रेगुलर के जब काम से सब जाते हैं.. थक से... तो कितने हीं उमंग भरने.. फिर

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प्यार क़ी दुहाई..

10 जनवरी 2022
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🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿 मैंने गिरगिड़ा अपनी प्यार क़ी दुहाई देती रहीं..थी फिर भी वो मिलना आखिरी मुलाक़ात हो गई थी कितना हीं तो तन मन धन सब हीं लुटाया था उसपे पर उसे तो मेरी हर हरकत बकबास लगने थे..लग

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दिलबाले..

10 जनवरी 2022
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💓🌺💓🌺💓🌺💓🌺💓🌺💓🌺💓🌺दिलबाले होकर के दिलबाले नहीं तू कहलाया..तेरी किस्मत पे हाय.. खूब हीं तो तरस..आया...बने घूमते रह गये.. झूठे बस तुम दिखाने को..थोड़ी सच क़ी हीं तो तुम करामात डाल देतें..क

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आख़री मुलाक़ात

10 जनवरी 2022
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💐🍃💐🍃💐🍃💐🍃💐🍃💐🍃💐🍃💐 वो मुलाक़ात आख़री होंगी किसने था जाना.... मेरे गालो पर.. तेरा होली का..मलमल..कर रंग लगाना भंग के नशा में हमारा ऐसे.. जैसे.. तैसे.. झूमते..जाना.. क्या हीं था.. जलवा उ

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पुराना मकान

10 जनवरी 2022
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🌲🍃🌲🍃🌲🍃🌲🍃🌲🍃🌲🍃🌲🍃🌲 पुराने मकान क़े बॉटबारे इस तरह हो रहा हैं भाई.. खिड़की, किवाड़ एक.-एक करक़े हिस्से में हैं आईं.. क्या जीवन ऐसी भी होती हैं रुसबाई.. कि मकानों क़ी भी बोटिया हैं निकाली ग

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ऐसे डुबोया

10 जनवरी 2022
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☘️🌳☘️🌳☘️🌳☘️🌳☘️🌳☘️🌳☘️🌳☘️ झूठी मुहब्बत दिखा डुबो कर..भीगाया..क्यों कायर तू.. डूबा कर.. इस तरह भागा हीं..क्यों.. वो भी तब जब.. जानते थे इसे तैरना भी अभी ना हैं आया.. इंसान बनने का फ़र्ज.. तू

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लिखना...

10 जनवरी 2022
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आ 🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🤗लिखना यानि मृत्यु से जीवन क़ी ओर..लिखना यानि आएगी जरूर से नई भोरलिखना आत्म मंथन क़ी हो रहीं हो तैयारी..लिखना मतलब होने बाली.. अब बहुतो से है

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