नई दिल्लीः सवा अरब की आबादी वाले देश को रियो में मिले सिर्फ दो पदक। जबकि कई गुना कम आबादी और क्षमताओं वाले देश ने कई गुना ज्यादा पदक जीते। यह हश्र तब हुआ जबकि पिछले कई ओलंपिक की तुलना में इस बार 119 खिलाड़ियों की भारी भरकम टीम भेजी गई थी। इस पर प्रतिद्वंदी चीन ने भी खिल्ली उड़ानी शुरू कर दी। देश में ही केंद्र सरकार की योजनाओं पर भी सवाल उठने खड़े हुए। यह बात शायद अब जाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भी दिल पर लगी। यही वजह है कि उन्होंने कैबिनेट मीटिंग में तत्काल ओलंपिक तैयारियों के लिए टॉस्क फोर्स गठित करने का फरमान जारी किया है। खेल मंत्रालय के अफसरों मीटिंग में दो टूक कह दिया है कि अब सिर्फ 2020 के टोक्यो ही नहीं उसके आगे के भी दो ओलंपिक को ध्यान में रखकर देश में तैयारी अभी शुरू करिए। अब कोताही नहीं चलेगी। चाहे जितना खर्च लगे, मगर खिलाड़ियों की ट्रेनिंग में कोई कोर-कसर बाकी न रहे।
विदेशी प्रशिक्षकों की मदद से तैयार होंगे एथलीट
2020 का ओलंपिक जापान की राजधानी टोक्यो में होगा। इसके बाद के 2024 व 2028 के ओलंपिक के लिए स्थान अभी तय नहीं हुए हैं। कैबिनेट मीटिंग में मोदी ने जिस टॉस्क फोर्स के गठन के निर्देश दिए हैं। वह देश में खेल सुविधाओं की पहले समीक्षा करेगी। इसके बाद शहर से लेकर गांव-गिराव तक खेल सुविधाओं की स्थापना, ट्रेनिंग, खिलाड़ियों के चयन और उनके प्रमोशन की कमान संभालेगी। टॉस्क फोर्स में उन देशों के विदेशी प्रशिक्षकों की मदद ली जाएगी, जिन देशों के खिलाड़ी ओलंपिक में अच्छा प्रदर्शन करते हैं। सूत्रों के मुताबिक ऐसे विदेशी कोच को टॉस्क फोर्स से जोड़ा जाएगा जिनकी ट्रेनिंग के बदौलत विदेशी खिलाड़ी ओलंपिक में मेडल जीत चुके हैं। सूत्र बता रहे कि जल्द ही टॉस्क फोर्स के सदस्यों का नाम तय होगा।
खेलों पर बजट बढ़ाएगी मोदी सरकार
कैबिनेट मीटिंग में खेलों को अपर्याप्त बजट का भी मुद्दा उठा। कहा गया कि भारत में प्रति व्यक्ति तीन पैसे हर दिन खेल पर खर्च होते हैं। जबकि अमेरिका हर दिन प्रति व्यक्ति पर 22 रुपये खर्च करता है। 2013-14 में सरकार ने 301 करोड़ रुपये खेलों के लिए जारी हुए थे। मगर, 2015-16 में मोदी सरकार ने बजट कम कर 114 करोड़ कर दिया। उधर एक रिपोर्ट के मुताबिक ब्रिटेन ने सिर्फ ओलंपिक तैयारियों पर 9000 करोड़ रुपये खर्च किए। जबकि भारत ने ओलंपिक तैयारियों और आधारभूत ढांचा मिलाकर भी 3200 करोड़ से ज्यादा नहीं खर्च किया।