नई दिल्ली : देश में चीनी सामान के विरोध के बावजूद अब सरकार भी चीन पर मेडिकल के क्षेत्र में अपनी निर्भरता कम करना चाहती है। इससे निपटने के लिए भारत सरकार का वाणिज्य मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय और नीति आयोग माथापच्ची कर रहे हैं।
भारतीय दावा उद्योग पूरी तरह से चीन पर निर्भर है और देश में दवा बनाने के लिए कच्चा मॉल यानी एक्टिव फॉर्मास्यूटिकल इंग्रीडिएंट (एपीआई) का 60 फीसदी चीन से आयात होता है। भारत अपने एक लाख करोड़ रुपये के दवा कारोबार का लगभग सालाना 84 फीसदी कच्चा माल विदेशों से मंगाता है। यानी चीन से सालाना 8,000 से 10,000 करोड़ रुपये मूल्य का एपीआई भारत में लाया जाता है।
जानकारों की माने तो भारतीय कंपनियां चीन से दवाओं का आयात पूरी तरह बंद नही कर सकती क्योंकि इससे दवाओं की कीमत में लगभग चार गुना इजाफा हो जाएगा। स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ बैठक में दवा उद्योग के प्रतिनिधियों ने कहा कि चीन में एपीआई उद्योग के विस्तार और सरकार से मिलने वाली मदद के चलते इस क्षेत्र में चीनी कंपनियों की बढ़त कायम है।