जिंदगी एक धारा है. जब बहता रहें तो स्वच्छ निर्मल और पारदर्शक रहता है . जब लयबद्द और संगीतमय हो तो आनदं के परम सीमा में रहती है और हमें उसी दिशा में अपने जीवन को बहते ले जाना है ताकि अंत में परमात्मा स्वरूपी महासागर में विलय होजाये .
सुदामा शुक्ला गरीब परिवार के तथा बचपन से ही भीरू प्रकृति के व्यक्ति थे. रही सही कसर धर्मपत्नी के तेजतर्रार स्वभाव ने पूरी कर दी. सुकुलाइन का मायका भी गरीब ही था, पर शुक्ला जी के सरकारी इंटर कॉलेज में व्याख्याता होने के गर्व ने सुकुलाइन पर रौबदाब का मुलम्मा चढ़ा दिया. सुकुलाइन की नित नयी माँगों को, का