नई दिल्ली: मामला चिट का है, ऐसी वैसी चिट नहीं बल्कि वह चिट जिसमें गुलाम नबी ने संदेश लिख कर राहुल गाँधी को दिया, राहुल गाँधी ने वो चिट अखिलेश यादव को पास की, प्रेस कांफ़्रेंस अभी चल ही रही थी कि अचानक अखिलेश उस चिट को जेब में रखने की बजाय टेबल पर रखते हैं, थोड़ी देर बाद जब प्रेस कांफ़्रेंस ख़त्म हुई तो अखिलेश उस चिट को टेबल हर ही भूल गए। दरअसल, पिछले सप्ताह जब सपा और कांग्रेस के गठबंधन के बाद राहुल गांधी और अखिलेश यादव ने लखनऊ में प्रेस कांफ्रेंस की थी उस समय कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश को एक चिट दी थी। चिट में साफ तौर पर लिखा था कि अखिलेश यादव से अमेठी और रायबरेली की विधानसभा सीटों पर चर्चा करने के लिए कहिए, हमको अमेठी रायबरेली की बात करनी ही होगी। लेकिन अब जब यह चिट एक पत्रकार के हाथ लग गई, तो कांग्रेस को इससे काफी शर्मिंदगी झेलनी पड़ रही है।
दरअसल, प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कांग्रेस के व्यवहार से अखिलेश और उनके समर्थक नाख़ुश नज़र आए। उनके मुताबिक़ कांग्रेस ने पूरे कार्यक्रम को हाईजैक कर लिया। राहुल गांधी ने इसमें बड़े भाई की तरह काम किया जबकि कांग्रेस गठबंधन में छोठी साझेदार है। सपा सरकार के काम की तारीफ करने के बजाय राहुल ने कहा कि उनके(अखिलेश यादव सरकार) के इरादे सही थे लेकिन यूपीए 2 के साथ उनकी कुछ कसर रह गई। इतना ही नहीं जब राहुल से मायावती के बारे में पूछा गया तब उन्होंने कहा कि वे उनकी काफी इज़्ज़त करते हैं। अखिलेश यादव को यह जवाब रत्ती भर भी रास नहीं आया।
प्रेस कांफ्रेंस के दौरान राहुल गांधी अपने नारे को लेकर भी स्पष्ट जवाब नहीं दे पाए। वे कई बार अटक अटक कर जवाब देते हुए नज़र आए। लेकिन अखिलेश यादव ने इस तरह के सवालों को बेहतर तरह से संभाला। सपा ने यूपी चुनावों के लिए ‘काम बोलता है’ को अपने प्रचार की थीम बनाया है। वहीं कांग्रेस गठबंधन के पहले ’27 साल यूपी बेहाल’ का नारा दिया था लेकिन गठबंधन के बाद उसने इसे छोड़ दिया।