नई दिल्ली: बीसीसीआई प्रमुख अनुराग ठाकुर ने मंगलवार को पूर्व अध्यक्ष संदीप पाटिल की जमकर खिंचाई की ,सचिन तेंदुलकर और महेंद्र सिंह धोनी को लेकर तथ्यों का खुलासा करना ‘अनैतिक’ था. ठाकुर ने सीधे तौर पर तो कारवाई की बात नहीं कि लेकिन अनुराग ने यह साफ कहा कि ‘बीसीसीआई में उपयुक्त व्यक्ति’ उनसे जल्द ही इस मसले पर बात करने की बात कही।
सचिन और धोनी पर बड़ा खुलासा
दरअसल पूर्व अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर पाटिल ने खुलासा किया कि सिलेक्शन कमेटी सचिन तेंदुलकर को टीम से बाहर कर सकता था, लेकिन सचिन ने पहले ही रिटायरमेंट की घोषणा कर दी, इतना ही नहीं भारतीय टीम के कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी को 2015 विश्व कप से पहले कप्तानी से हटाने की भी संदीप पाटिल ने की बात।
पाटिल को ऐसी टिप्पणी से बचना चाहिए था
अनुराग ठाकुर ने पीटीआई से बात करते समय बोला कि, ‘‘मैं स्पष्ट करना चाहता हूं. संदीप को पूर्व अध्यक्ष होने के नाते ऐसी टिप्पणियां नहीं करनी चाहिए थी. जब वह चेयरमैन थे वह इन सवालों का अलग तरह से जवाब देते थे. लेकिन कार्यकाल समाप्त होने के बाद उनहोनें विभिन्न तरह के जवाब दिए. यह पूरी तरह से अनैतिक है.’’ अनुराग ठाकुर ने कहा कि, ‘‘किसी को भी चयन मसलों को लेकर अनैतिक और अवांछनीय टिप्पणियां करने से बचना चाहिए. क्योंकि उन पर अध्यक्ष बनने के लिए भरोसा किया गया, क्योंकि उन्होंने पर्याप्त क्रिकेट खेल ी है. उनके साथ चार अन्य चयनकर्ता थे, उन्होंने कुछ नहीं कहा. उन्हें भी इससे बचना चाहिए था.’’
संदीप पाटिल पर भरोसा करना बहुत मुश्किल होगा
अनुराग ठाकुर ने कहा कि गोपनीयता के उल्लंघन से भविष्य में नियोक्ता के लिए पाटिल पर भरोसा करना बहुत मुश्किल रहेगा. उन्होंने कहा, ‘‘कोई भी संगठन यदि वह उनकी (पाटिल) सेवाएं लेना चाहता हो, वह इस पर दस बार सोचेगा कि संगठन को छोड़ने के बाद वह उसके बारे में बात करेंगें.’’ हालांकि धोनी और तेंदुलकर के बारे में कही गई यह बात और अनुराग ठाकुर की पाटिल पर प्रतिक्रिया भी सवालों के घेरे में है।
खिलाड़ियों के अंदर उत्साह की कमी
बीसीसीआई प्रमुख अनुराग ठाकुर ने कहा कि, ‘‘लोग बीसीसीआई में आने से बच रहे हैं. पूर्व क्रिकेटर जो अकादमी चलाते हैं या राज्य संघों में जिनकी कोई भूमिका है वे हितों के टकराव के कारण इसके योग्य नहीं थे. यदि कोई क्रिकेटर संन्यास लेने के बाद क्रिकेट के खेल में योगदान नहीं दे सकता है तो वह और क्या करेगा.’’ ठाकुर ने कहा कि ज़्यादातर आवेदनकर्ता चाहते थे कि पांच सदस्य टीम हो लेकिन लोढ़ा समिति ने तीन चयनकर्ताओं की सिफारिश की है. ‘‘मुझे खुशी है कि 99.9 प्रतिशत (आवेदनकर्ताओं) ने कहा कि वे कम से कम पांच सदस्यीय चयन पैनल चाहते हैं. भारत बहुत बड़ा देश है आप तीन चयनकर्ताओं से अपने पद के प्रति न्याय की उम्मीद कैसे कर सकते हो. इनकी संख्या कम से कम पांच होनी चाहिए.’’