नई दिल्ली : सीएम साहब ! अगर भ्रष्टाचारियों पर नकेल कस रहे हैं तो जो सरकार की छवि बनाने में लगें हैं. उनका तो कल्याण कर दीजिये. कम से कम ता उम्र आपका नाम यूपी की जनता स्वर्ण अक्षरों से अपने दिल में संजोये रखेगी. यहां बात हो रही है उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की, जिन्होनें चुनाव से कुछ महीने पहले अपनी सरकार की छवि बिगड़ने वाले अपने दो दागी मंत्रियों की छुट्टी करने में जरा भी वक्त नहीं दिखाया और यही नहीं मुख्य सचिव की भी उनके कारनामों के चलते छुट्टी कर दी.
CM साहब कमाऊ पूतों से इतनी नफरत क्यों ?
गौरतलब है की यूपी की समाजवादी पार्टी सरकार में जहां कई चहेते अफसरों की पांचों अंगुलियां घी में डूबी हुई है वहीँ कई ऐसे अफसर है, जिनको ऐसी जगह पोस्टिंग दी गयी है कि वह कुछ नया करना चाह के भी नहीं कर सकते. मसलन जो मलाईदार पदों पर तैनात है. वह इतनी अधिक मलाई चाट रहे हैं कि उसकी खुशबू उनके कार्यालय से उड़ कर सूबे की गलियों तक पहुच गयी है. जिसके चलते अखिलेश सरकार की थू-थू हो रही है.
CM ने भ्रष्ट मंत्रियों और अफसरों पर कसी लगाम
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने दो दिन पहले ही भ्रष्टाचार के दलदल में फंसे अपनी सरकार के मंत्री गायत्री प्रसाद और राज किशोर सिंह को पार्टी से निलंबित ही नहीं बल्कि बर्खास्त कर दिया. इतना ही नहीं चंद दिनों पहले बनाये गए मुख्य सचिव दीपक सिंघल को उनके पद से हटा दिया गया और उनके स्थान पर राहुल भटनागर कि पोस्टिंग कर दी गयी. अब सवाल इस बात का है कि जब सीएम साहब नहीं चाहते है कि उनके राज्य कि जनता दुखी हो तो क्यों ऐसे भ्रष्टाचारी अफसरों कि तैनाती मलाईदार पदों पर की गयी है. दिलचस्प है कि अभी हाल में ही इलाहबाद के एसडीएम अरविन्द कुमार को जब इस बात का पता चला कि बैरिया गांव के ग्रामीण लोग डरे हुए हैं. गांव में तकरीबन साढ़े तीन किलोमीटर लंबे बांध में दरार पढ़ चुकी है. जिसको अगर बचाया नहीं गया तो पूरा गांव डूब सकता है.
खुद कार चलाकर पहुचे गांव को बचाने SDM
इस बात कि खबर मिलते ही SDM साहब खुद मौके पर अपनी कार चलाकर पहुँच गए. दरअसल रात में जब यह खबर मिली तो उनकी गाड़ी का ड्राइवर बंगले पर नहीं था. जिसके चलते मौके पर पहुचते ही उन्होंने गंगा नदी के तट पर खड़ी मोटर वोट मालिक को अपनी जेब से पैसे निकालकर डीजल लाने के लिए दिए. इस दौरान रात के 2 बज रहे थे. इतनी ही देर में जब उनकी नजर पास में चल रहे एक निर्माणाधीन भवन पर पड़ी तो वह वहां पहुँच गए और वहां पड़ी प्लास्टिक कि बोरियों को उन्होंने स्वंय उठायीं.
एसडीएम ने गांव को डूबने से बचाया
इसके बाद इन बोरो में बालू भरकर वह उसे सिर पर लादकर उस स्थान पर जाने लगे जहां से बांध में दरार पड़ी थी. एसडीएम अरविंद कुमार को खुद बालू के बोर ढोते देख गांव वाले भी उनके साथ जुट गए. यही नहीं देखते ही देखते पूरा गांव उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर इस काम को पूरा करने में जुट गया और कुछ घंटों में उन्हें इस काम में सफलता भी मिली. इस तरह से साढ़े तीन किलोमीटर लंबे बांध में पड़ी दरार को पाटकर पूरे गांव को डूबने से बचा लिया.