दिल्ली : अरविंद केजरीवाल सरकार में एक साल के दौरान शराब की 399 नई दुकानें खुलने के स्वराज अभियान और बीजेपी के दावे के उलट एक्साइज डिपार्टमेंट के आंकड़े सिर्फ 6 नई सरकारी दुकानें खुलने की दावा करती हैं.
विभाग का कहना है कि शराब की बिक्री बढ़ाने के मकसद से पिछले 1.5 साल में किसी पॉलिसी या रूल में कोई बदलाव नहीं किया गया है. अधिकारियों के मुताबिक आंकड़ों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने के लिए इसमें पुरानी दुकानों के रिन्युअल, मॉल, होटल, रेस्टोरेंट और डिपार्टमेंटल स्टोर्स के लाइसेंस और रिन्युअल भी शामिल किए गए हो सकते हैं.
दिल्ली के एक्साइज कमिश्नर संजय कुमार ने इस बारे में कहा 'जो आंकड़ा प्रचारित किया जा रहा है, वह समझ से परे है. प्राइवेट ठेकों पर 10 साल से रोक है, हालांकि मॉल्स, होटल, रेस्टोरेंट में सर्व करने के लिए अलग लाइसेंस लिए जा सकते हैं. लेकिन जिन सरकारी ठेकों की बात की जा रही है, वह तो सिर्फ 6 नए खुले हैं.
उन्होंने कहा 'दिल्ली में हर साल 150-200 रेस्टोरेंट खुलते हैं और लगभग इतने ही बंद होते हैं. लेकिन प्रचारित आंकड़ों में नए खुलने वाले रेस्टोरेंट को तो जोड़ लिया गया, जबकि कैंसिल होने वाले लाइसेंस की अनदेखी की गई लगती है.
'वित्त विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया 'एक्साइज डिपार्टमेंट ने 2015-16 में 30 पर्सेंट से ज्यादा की रेवन्यू ग्रोथ दर्ज कराई थी, जो टैक्स चोरी रुकने के चलते हुआ था न कि शराब की बिक्री बढ़ने से. ' उधर, एक्साइज विभाग के कुछ अफसर इस बात से भी मायूस हैं कि दिल्ली सरकार इन आरोपों पर काफी डिफेंसिव हो गई है. वह वास्तविक आंकड़ों से भी अपना बचाव करने में कतरा रही है ताकि यह संदेश न चला जाए कि वह शराब बिक्री को बढ़ावा दे रही है.
सरकार के एक प्रवक्ता ने इस बारे में पूछे जाने पर कहा कि प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव को अगर वास्तव में शराब की चिंता होती तो वे नोएडा और गुड़गांव में भी ऐसा ही कैंपेन चलाते, जहां दिल्ली से ज्यादा सेल्स बढ़ी है. लेकिन उनका मकसद कुछ और है.