नई दिल्ली : रियो ओलंपिक में साक्षी मलिक, पीबी सिंधू और दीपा कर्माकर के शानदार प्रदर्शन के बाद एक बार फिर बेटी बचाओं अभियान सोशल मीडिया पर रफ़्तार पकड़ने लगा है। रियो ओलंपिक में भारत की झोली में पदक कोई पुरुष खिलाड़ी नहीं लाया बल्कि दो बेटियों ने ही देश का मान रखा। भारत में महिला खिलाड़ियों के इस प्रदर्शन के बाद महिलाओं के सशक्तिकरण को लेकर कई तरह के मंथन किये जा रहे हैं। जानकारों की माने तो भारत में बेटियों की कम होती संख्या और उनपर लागू होने वाले सामजिक बंधनों के लिहाज से अन्य देशों के मुकाबले भारतीय बेटियां ओलंपिक में फाइटर निकली।
पहले जगमति सांगवान की कहानी सुनिए
साक्षी मलिक खुद हरियाणा जैसे राज्य से आती हैं। हरियाणा की सामाजिक कार्यकर्ता जगमति सांगवान कहती हैं, हरियाणा की 'खाप पंचायत' से लड़ने के लिए उनको महिला आंदोलन तक चलाना पड़ा। महिलाओं को खाप पंचायत से लड़ने के लिए आंदोलन में शामिल करने से पूर्व वह एक बॉलीबाल खिलाड़ी थी। जैसे ही जगमती की शादी हुई उनके साथी खिलाड़ियों ने उन्हें अपने साथ नहीं खेल ने दिया। वह कहती हैं कि चीजें अभी भी नहीं बदली हैं, महिलाओं की शादी पुरुषों के मुकाबले कम उम्र में हो जाती हैं और उसके बाद उनको खेलों में भाग लेने से रोक दिया जाता है।
अब चलिए कहाँ से आती हैं साक्षी मलिक
भारत को रेसलिंग में पदक दिलाने वाली साक्षी मलिक रोहतक जिले के 'मोखरा ख़ास' गांव की रहने वाली हैं। मोखरा ख़ास हरियाणा का सबसे पिछड़ा गांव माना जाता है। साल 2011 के जनसंख्या आंकड़ों के हिसाब से इस गांव की आबादी 10,780 है। यहाँ लिंगानुपात हरियाणा के अनुपात 877 के सामने सबसे कम 822 है। इस गांव में चाइल्ड लिंगानुपात की बात करें तो 0-6 साल के बच्चों की संख्या हरियाणा में 830 के मुकाबले सबसे कम 800 हैं । इस बात का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि साक्षी मलिक के पदक जीतने के बाद क्रिकेटर वीरेंद्र सहवाग ने ट्वीट किया था कि 'हरियाणा के लोगों के लिए साक्षी इस बात इस बात का रिमाइंडर है कि अगर आप लड़कियों को जन्म से पहले नहीं मरोगे तो वह क्या कर सकती हैं।
मोखरा ख़ास गांव में साक्षरता की बात करें तो गांव की साक्षरता दर 67.5 है, जो कि राष्ट्रीय साक्षरता 74 प्रतिशत और हरियाणा की साक्षरता दर 76.6 के मुकाबले सबसे कम है। हालही के वर्षों में इस गांव में महिलाओं की साक्षरता की दर 56.7 प्रतिशत तक गिर गई है। इस गांव की अधिकांश 56.6 प्रतिशत पुरुष आबादी कृषि और 3.7 प्रतिशत मजदूरी करते हैं। आंकड़ों के अनुसार मोखरा खास गांव में 45.6 प्रतिशत मकान ठीक ठाक स्थिति में हैं। गांव में केवल 47.1 प्रतिशत घर रहने काबिल और 7.3 प्रतिशत घर जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हैं वहीँ 54.3% घरों की छतें ख़ास की बनी हैं।