नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा की मुश्किल बढ़ सकती हैं। जस्टिस ढींगरा बुधवार को अपनी रिपोर्ट सौंप सकते हैं। जस्टिस एसएन ढींगरा आयोग का कार्यकाल बुधवार को 31 अगस्त को पूरा हो रहा है। इससे पहले आयोग को 30 जून तक अपनी रिपोर्ट सौंपनी थी, लेकिन आयोग को सीएम ने 8 सप्ताह का वक्त और दे दिया था। जस्टिस ढींगरा आयोग ने वाड्रा-डीएलएफ लैंड डील के पिछले 10 साल में हुए जमीन सौदों की जांच की है।
हुड्डा और सरकारी अफसरों पर भी आरोप
सूत्रों के मुताबिक जस्टिस ढींगरा बुधवार को अपनी रिपोर्ट हरियाणा सरकार को सौंप सकते हैं। जस्टिस ढींगरा की इस रिपोर्ट में हरियाणा सरकार के पूर्व सीएम मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा समेत अनेक सरकारी अफसरों पर कानून को ताक पर रखकर लोगों को फायदा पहुंचाने का आरोप है।
क्या हैं वाड्रा पर आरोप ?
आरोपों के मुताबिक पांच बीघा 13 बिसवा यानि साढ़े तीन एकड़ जमीन की यह डील ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज के नाम पर की गई थी, जो फर्जी कागजात के आधार पर हुई थी। रोबर्ट वाड्रा पर आरोप है कि उनकी कंपनी स्काईलाइट ने ये जमीन गुरूग्राम(गुडगाँव) के शिकोहपुर में साढे सात करोड रुपये में खरीदी थी, वही जमीन लैंड यूज चेंज होने के बाद 55 करोड रूपये से ज्यादा में बेच दी। कुछ ऐसे ही आरोप हुड्डा सरकार के दौरान दूसरी कंपनियों पर भी लगे हैं। सूत्रों के मुताबिक जिन कंपनियो को ये सीएलयू सर्टिफिकेट दिए गए उनकी कीमतो में जिस दर से जमीन खरीदी गई थी उनमें पांच सौ से लेकर आठ सौ प्रतिशत तक का इजाफा हुआ।
सूत्रों के मुताबिक जस्टिस ढींगरा की रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा है कि अनेक प्रभावशाली कंपनियो को जिनमें राबर्ट वाड्रा की कंपनी भी शामिल है उन्हें सीएलयू यानि चेंज आफ लैंड यूज सर्टिफिकेट जारी किए गए जिसके चलते जमीनो की कीमते बढ गई. (सीएलयू सर्टिफिकेट का मतलब है खेती की जमीन पर व्यवसायिक इस्तेमाल की अनुमति देना.) रिपोर्ट में हरियाणा के टाऊन एंड कंट्री प्लानिंग अधिकारियो की भूमिका पर भी सवाल उठाए है और इस विभाग की जिम्मेदारी देख रहे तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा को भी कठघरे में खडा किया है.
सूत्रों के मुताबिक आयोग ने गुरूग्राम के सेक्टर 83 समेत गांव शिकोह पुर गांव सिकदंरपुर खेडकी दौला और सिही में जमीनो को वाणिज्यक लाइसेंस दिए जाने की जांच की है. अपनी जांच के दौरान ढीगरा आय़ोग ने राबर्ट वाड्रा की कंपनी से सीधे नाता रखने वाली कंपनियो और अन्य प्राइवेट लोगो से भी पूछताछ की है. सूत्रों के मुताबिक आय़ोग ने 50 लोगो से ज्यादा लोगो से पूछताछ की और इनमें दो दर्जन सरकारी अधिकारी भी शामिल है. इनमें से अनेक लोगो के बयान गवाहों के तौर पर और अनेक लोगो के बयान पार्टी के तौर पर दर्ज किए गए है.
क्यों बनाया गया था ढींगरा आयोग ?
हरियाणा की खट्टर सरकार ने 14 मई 2015 को हरियाणा, खासकर गुरुग्राम और उसके आसपास की विवादास्पद जमीन सौदों की जांच के लिए जस्टिस एसएन ढींगरा आयोग का गठन किया था। इस आयोग को जून 2016 में अपनी रिपोर्ट दाखिल करनी थी लेकिन अंतिम समय पर आय़ोग के सामने कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज आ गए और उसके आधार पर आयोग को जांच के लिए आठ सप्ताह का और समय मिल गया।
कब-कब रहे वाड्रा विवादों में
1.विवाद और वाड्रा का चोली दामन का नाता रहा है। अक्टूबर 2012 में आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने रॉबर्ट वाड्रा पर प्रेस कांफ्रेंस करके आरोप लगाए कि उन्होंने दिल्ली और आसपास में कई ज़मीन-जायदाद खरीदी और उसके लिए धन आया रियल इस्टेट कंपनी डीएलएफ़ की ओर से जिसने रॉबर्ट वाड्रा को “ग़ैर ज़मानती ब्याज मुक्त कर्ज़” दिए. आरोप लगाए गए कि वाड्रा ने इसके लिए गांधी परिवार के नाम का गलत इस्तेमाल किया. हालांकि वाड्रा और डीएलएफ़ दोनो ने आरोपों से इंकार किया है। मामले की जांच जारी है।
2.साल 2014 में जब समाचार एजेंसी एएनआई के एक पत्रकार ने ज़मीन विवाद पर वाड्रा से सवाल पूछा तो बेहद गुस्से में वाड्रा ने उनसे पूछा, are you serious ? (‘क्या आप गंभीर हैं?’) और फिर ये बात बार-बार दोहराई और फिर माइक को झटककर आगे बढ़ गए। जिसको लेकर सोशल मीडिया में उनकी जमकर आलोचना हुई।
3.अशोक खेमका तो मानो रोबर्ट वाड्रा के लिए गले की हड्डी बन गए थे। आईएएस अफ़सर अशोक खेमका को वाड्रा के ज़मीन विवाद मामले में व्हिसल-ब्लोअर भी माना जाता है और रिपोर्टों के मुताबिक़ सरकारों के फ़ैसलों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने के कारण 23 सालों में उनका 45 बार तबादला हो चुका है। अशोक खेमका का आरोप था कि कांग्रेस सरकार ने उन पर इसलिए निशाना साधा और परेशान किया क्योंकि उन्होंने रॉबर्ड वाड्रा और डीएलएफ़ के बीच समझौते को रद्द कर दिया।
4.रॉबर्ट वाड्रा ने पने फ़ेसबुक पेज पर लिखा – ‘मैंगो पीपल इन बनाना रिपब्लिक’। जिसको लेकर सोशल मीडिया में जमकर उनका मजाक बनाया गया। टिप्पणी पर विवाद होने के बाद वाड्रा ने अपना फ़ेसबुक अकाउंट बंद कर दिया था।
5.घरेलू हवाईअड्डों पर जिन लोगों को सुरक्षा जांच से मुक्त रखा गया है, उस सूची में रॉबर्ड वाड्रा का भी नाम था। इसे लेकर कई दिनों तक काफ़ी हंगामा मचा। सितंबर 2015 में ख़बर आई कि वाड्रा को उस सूची से हटा लिया गया है लेकिन मई 2016 को टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक ख़बर के मुताबिक़ कुछ मामलों में अभी भी रॉबर्ड वाड्रा सुरक्षा जांच से मुक्त हैं।