नई दिल्ली : एलओसी पार कर पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक के जरिये भारतीय सेना की स्पेशल फोर्सेज ने सात आतंकी ठिकानों को नष्ट किया और कई आतंकियों को मार गिराया। लेकिन आपको यह जानकार हैरानी होगी कि भारतीय सेना ने यह ऑपरेशन 30 साल पुराने हथियारों से किया। एक रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय सेना ने जिस वक़्त म्यांमार की सीमा में घुसकर नेशनलिस्ट सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड-खपलांग (एनएससीएन) के उग्रवादियों के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक की थी, तब रक्षा मंत्री मनोह पर्रिकर के सं ज्ञान में यह बात लायी गई थी।
सेना ने बाकायदा रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर के सामने प्रजेंटेशन देकर बताया था कि आगे भी अगर भारतीय सेना इस तरह की कार्रवाइयां करती हैं तो इसके लिए उन्हें आधुनिक हथियारों की जरूरत पड़ेगी। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने उसी वक्त विशेष बलों के अाधुनिकीकरण प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी थी। चौकाने वाली बात यह है कि 15 महीने गुजर जाने के बाद भी सेना के पास यह हथियार नही पहुँच पाए हैं।
स्पेशल फोर्सेस के लिए 180 करोड़ रुपए की लागत वाले अाधुनिकतम हथियारों की खरीद पर भी सहमति दी थी। इसके तहत करीब 1,200 अाधुनिक स्वचालित राइफलें, 36 स्नाइपर राइफलें, 36 स्वचालित जीपीएमजी (जनरल पर्पज मशीन गन), 24 कम वजन वाले रॉकेट लॉन्चर, 24 शॉट गन और 500 पिस्टल आयात किए जाने थे।
रिपोर्ट की माने तो कई बटालियन के पास जीपीएमजी (गन) नही है। सेना का कहना है कि वह 5.56 एमएम वाली टैवर राइफल इस्तेमाल कर रहे हैं जबकि आवश्यकता 7.62 एमएम की है। जानकारी यह भी दी गई कि सेना के पास 400 पैरासूट हैं और वह पर्याप्त नही हैं। सेना को कम से कम 12000 पैराशूट की जरूरत है।