नई दिल्ली : मुम्बई में महालक्ष्मी पुल के नीचे एक छोटे से कार्यालय में चाय के कप के साथ धर्मेन्द्र कनौजिया, पप्पू शेख और अन्य कई धोबी अपनी कुछ दिन पहले की गई मध्य एशियाई देशों की यात्रा का जिक्र कर रहे हैं '' हम मैं से कुछ लोग कुछ समय पहले ही बैंकों घूम चुके थे इसलिए हमने इस बार घूमने के लिए कोई नई जगह चुनी''।
मुम्बई में महालक्ष्मी रेलवे स्टेशन के पास दुनिया की सबसे बड़ी खुली लॉन्ड्री हैं। यह धोबी घाट ब्रिटिश राज के दौरान 1890 में बना था। बता दें कि मुम्बई का महालक्ष्मी घाट एक साल में 100 करोड़ कमाता है। रोजाना यहाँ 18 से 20 घंटे 7000 लोग कपडे धोने के लिए हाथपैर मार रहे होते हैं।
धोबी कपड़ों को प्रेस मारकर शहर के कई हिस्सों में पहुंचा रहे होते हैं। प्रत्येक दिन एक लाख ज्यादा कपडे धोये जाते हैं। हालाँकि अब कुछ अमीर धोबियों ने यहाँ मैनुअल सफाई और कपडे होने की मशीने भी स्थापित कर दी है। इस महालक्ष्मी घाट में धोबी एक पेंट शर्ट के 50 रूपये लेते हैं।
दादर, चेंबूर, कुर्ला और अंधेरी के गारमेंट डीलर यहाँ थोक के कपडे धोने के लिए लाते हैं और फिर इन कपड़ों को न्यू ब्रांड बनाकर बेचते हैं। सबसे बड़ी संख्या में यहाँ साड़ियां आती हैं। एक धोबी यहाँ प्रतिदिन 400 से ज्यादा साड़ियां धोता है। इनमे से ज्यादातर यहाँ पुराने और कपडे होते हैं। एक साड़ी के लिए चार या पांच रूपये लिए जाते हैं।