देहरादून : उत्तरप्रदेश से अलग हुए पहाड़ी राज्य उत्तराखंड से आजतक प्राकतिक आपदाओं की खबरें आती रही लेकिन प्रकृति की गोद में बसे उत्तराखंड में एक 17 साल की युवती की भूखमरी से मौत की खबर कई तरह के सवाल खड़े कर रही है। दरअसल पहाड़ी सूबे में रोजगार की कमी भले रही हो लेकिन खाने के लिए कुछ न मिले ऐसा कभी नहीं हुआ।
उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले की चौखुटिया तहसील की खजुरानी गांव की 17 साल की सरिता की भूखमरी से मौत हो गई। इसकी जानकारी खुद स्थानीय विधायक महेश नेगी ने मुख्यमंत्री त्रिवेन्दर सिंह रावत को दी है। विधायक ने अपने पत्र में लिखा कि यदि परिजनों को भी जल्द मदद नहीं दी गई तो उनका जीवन भी संकट में पड़ सकता है।
अल्मोड़ा जिले के डीएम सेविन बंसल का कहना है कि मामले की जांच के लिए एसडीएम लप खजुरानी गाँव भेजा गया है। युवती की आर्थिक स्थिति बेहद ख़राब है, उसके परिवार में 6 सदस्य हैं और युवती के पिता की मौत कुछ समय पहले हो चुकी थी। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने राज्य सरकार पर संवेदनहीन होने का आरोप लगाते हुए इसे ‘देवभूमि पर कलंक’ बताया है।
हालाँकि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा - अल्मोड़ा जिले की चौखुटिया तहसील के खजुरानी गांव में युवती की मौत का कारण भुखमरी नहीं है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है कि जिलाधिकारी अल्मोड़ा से इस मामले में उनकी फोन से बात हुई है और जिलाधिकारी का कहना है कि युवती की मौत भुखमरी के कारण नहीं हुई है। अब इस मामले की विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है। जिलाधिकारी अल्मोड़ा को पीड़ित परिवारों को उचित मदद मुहैया कराने के निर्देश दिए गए हैं।